गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य (चेले) नाथ परंपरा के प्रचार-प्रसार और योग व तंत्र साधना के ज्ञान को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उनके शिष्यों के नाम इतिहास, किंवदंतियों, और लोक कथाओं में प्रमुखता से मिलते हैं। ये सभी नाथ संप्रदाय के सिद्ध योगी माने जाते हैं और उनकी अपनी-अपनी साधना और उपलब्धियों के कारण प्रसिद्ध हैं।
गुरु गोरखनाथ जी के प्रमुख शिष्य (चेले):
1. गुग्गा वीर (गुग्गा जी):
- गुग्गा वीर गुरु गोरखनाथ जी के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में से एक हैं।
- उन्हें सांपों का देवता माना जाता है, और उनकी पूजा राजस्थान, हरियाणा, और पंजाब में प्रमुखता से की जाती है।
- गुग्गा जी को गोरखनाथ जी ने सांपों के जहर पर नियंत्रण की सिद्धि प्रदान की थी।
2. चरपट नाथ:
- चरपट नाथ नाथ संप्रदाय के सिद्ध योगियों में से एक हैं।
- उन्होंने गोरखनाथ जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाया और योग साधना में उच्च स्थान प्राप्त किया।
- उनकी शिक्षाएँ मुख्य रूप से योग, ध्यान, और सांसारिक मोह से मुक्ति पर केंद्रित थीं।
3. भर्तृहरि नाथ:
- राजा भर्तृहरि (भर्तृहरि नाथ) गुरु गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक हैं।
- वे उज्जैन के राजा थे, लेकिन सांसारिक मोह त्यागकर गुरु गोरखनाथ से दीक्षा लेकर योग और साधना में लीन हो गए।
- भर्तृहरि नाथ को वैराग्य और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
4. कानफटा नाथ:
- कानफटा नाथ गोरखनाथ जी के शिष्य थे, और वे अपने कान छिदवाकर नाथ परंपरा की दीक्षा लेने के लिए प्रसिद्ध हैं।
- उनका नाम कानफटा नाथ परंपरा के प्रारंभ के साथ जुड़ा हुआ है।
5. जालंधरनाथ:
- जालंधरनाथ गुरु गोरखनाथ के प्रसिद्ध शिष्यों में से एक हैं।
- वे योग और तंत्र साधना के सिद्धहस्त माने जाते हैं और उन्होंने जल तत्त्व पर सिद्धि प्राप्त की थी।
6. सांभ नाथ:
- सांभ नाथ भी गोरखनाथ के शिष्यों में से एक थे।
- उनकी साधना और योग अभ्यास में विशेष सिद्धि मानी जाती है।
7. नागनाथ:
- नागनाथ, नाग साधना और तंत्र साधना में विशेष स्थान रखने वाले सिद्ध योगी थे।
- उन्हें गोरखनाथ जी ने नाग विद्या और ऊर्जा संतुलन की शिक्षा दी थी।
8. गाहिनी नाथ:
- गाहिनी नाथ गोरखनाथ जी के प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
- वे अपनी साधना और उच्च योगिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं।
नाथ परंपरा का विस्तार
गोरखनाथ जी के इन शिष्यों ने योग, तंत्र और भक्ति की परंपरा को पूरे भारत और अन्य स्थानों पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाएँ और साधनाएँ आज भी नाथ संप्रदाय और योग साधना में मार्गदर्शन करती हैं।
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