पंचम नवरात्रि– मां स्कंदमाता मां स्कंदमाता व्रत कथा–

जय माता दी

Sunny Sharma Nath

            पंचम नवरात्रि– मां स्कंदमाता

मां स्कंदमाता व्रत कथा–

माता स्कंदमाता जीवो में नवचेतना का निर्माण करती है।भगवान कार्तिकेय(स्कंद) की माता होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा है। भगवान स्कन्द बाल स्वरूप में माता की गोद में विराजित है।माता की पूजा से भक्तो की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। माता अपने भक्तो को मोक्ष प्रदान कराने वाली है। माता अपने भक्तो को हर तरह के सुख प्रदान करती है।

मां स्कंदमाता का स्वरूप–

इस देवी की चार भुजाएं हैं।ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद मेंपकड़े हुए
हैं।नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है।बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है।ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। इनका वहां सिंह है।

मां स्कंदमाता का मंत्र–

 सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी ।।

मां स्कंदमाता की आरती–

जय तेरी हो स्कंद माता 
पांचवां नाम तुम्हारा आता 
सब के मन की जानन हारी 
जग जननी सब की महतारी 
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं 
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं   
कई नामों से तुझे पुकारा 
मुझे एक है तेरा सहारा 
कहीं पहाड़ों पर है डेरा 
कई शहरो मैं तेरा बसेरा 
हर मंदिर में तेरे नजारे 
गुण गाए तेरे भगत प्यारे 
भक्ति अपनी मुझे दिला दो 
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो 
इंद्र आदि देवता मिल सारे 
करे पुकार तुम्हारे द्वारे 
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए 
तुम ही खंडा हाथ उठाए 
दास को सदा बचाने आई 
'चमन' की आस पुराने आई... 

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