**दिवाली पर दुश्मन का मारण प्रयोग** एक प्रकार का तंत्र-मंत्र साधना माना जाता है, जिसे काले जादू की श्रेणी में रखा जाता है। इसे अत्यंत नकारात्मक और विनाशकारी क्रिया माना जाता है, जिसका उद्देश्य किसी दुश्मन को नुकसान पहुंचाना या उसका नाश करना होता है। हिंदू धर्म और आध्यात्मिक परंपराओं में इस तरह के प्रयोगों को नैतिकता और धर्म के विरुद्ध माना जाता है, क्योंकि इसका आधार हानि, बदला या प्रतिशोध होता है।
### मारण प्रयोग क्या होता है?
मारण प्रयोग का तात्पर्य उस तांत्रिक साधना से है जिसमें किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से नष्ट करने की इच्छा से मंत्र और तंत्र का प्रयोग किया जाता है। इसे अत्यधिक घातक और निषेधात्मक माना जाता है। यह सिद्धांत है कि इस तरह के प्रयोग में व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म उसे ही दुष्प्रभाव के रूप में मिलते हैं।
### दिवाली का महत्त्व
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में सबसे शुभ और पवित्र पर्वों में से एक है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन किए गए किसी भी प्रकार के अनैतिक तांत्रिक प्रयोग, विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा से संबंधित, अत्यंत अशुभ माने जाते हैं।
### क्या मारण प्रयोग उचित है?
मारण प्रयोग या किसी भी प्रकार के दुश्मनी से प्रेरित तांत्रिक साधनाएं आत्मा, नैतिकता और धर्म के विरुद्ध हैं। यह व्यक्ति को और अधिक नकारात्मक ऊर्जा से घेर लेता है, और अंततः उसे हानि पहुंचाता है। किसी भी प्रकार की हिंसा, चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक, आत्मा की शुद्धता और जीवन के ध्येय से विपरीत मानी जाती है।
### निष्कर्ष:
दिवाली जैसे पवित्र अवसर पर किसी प्रकार के नकारात्मक कर्म, जैसे कि मारण प्रयोग, करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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