आठवा नवरात्रा–माता महागौरी माता महागौरी की व्रत कथा–

जय माता दी

Sunny Nath Sharma

          आठवा नवरात्रा–माता महागौरी

माता महागौरी की व्रत कथा–

महादेव को पति रूप में पाने के लिए माता ने कठोर तपस्या करी थी जिससे माता का रंग काला पड़ गया था। भगवान शंकर ने जब माता को स्वीकार करा तब उन्होंने माता के शरीर पर गंगाजल डाला जिससे माता का वर्ण स्वेत हो गया । तथा तभी से माता का नाम महागौरी पड़ गया।माता का वहां बैल या सिंह है।

माता महागौरी का स्वरूप–

माता गौरा अत्यंत ही करुणामई,शांत व सुंदर दिखती है। माता का वर्ण पूर्णता स्वेत है। माता की चार भुजाएं है।मां की मुद्रा अत्यन्त शांत है और ये अपने हाथों में डमरू, त्रिशूल धारण किए वर मुद्रा और अभय-मुद्रा धारिणी है।माता के वस्त्र व आभूषण भी सब स्वेत है।

माता महागौरी का मंत्र–

 श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

माता महागौरी की आरती–

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो

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