**करवा चौथ** का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में प्रेम एवं सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।

 **करवा चौथ** का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में प्रेम एवं सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।


### करवाचौथ की व्रत कथा:

करवा चौथ की कथा सुनने और सुनाने का विशेष महत्व होता है। इस व्रत के साथ जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा है, जिसे व्रत के दौरान सुनाया जाता है:


#### **कथा का सारांश**:


प्राचीन समय में एक सुहागन महिला का नाम वीरावती था, जो अपने माता-पिता की अकेली और प्यारी बेटी थी। विवाह के बाद, वीरावती अपने पति के घर चली गई। कुछ समय बाद करवा चौथ का व्रत आया, और वीरावती ने व्रत रखा। व्रत के दौरान, उसे भूख और प्यास से अत्यधिक कष्ट हुआ, लेकिन उसने अपने व्रत को पूरा करने का निश्चय किया। 


वीरावती के भाइयों को अपनी बहन की हालत देखकर बहुत दुख हुआ। भाइयों ने एक छल का सहारा लिया। उन्होंने एक पेड़ के पीछे आग जलाकर यह दिखाया कि चंद्रमा निकल चुका है। वीरावती ने उस कृत्रिम चंद्रमा को देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। 


लेकिन जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसके पति की मृत्यु हो गई। इस पर वीरावती को बहुत दुख हुआ, और वह अपने पति की मृत्यु का कारण जानने के लिए देवी से प्रार्थना करने लगी। देवी ने वीरावती को बताया कि उसने अपना व्रत चंद्रमा के उदय से पहले तोड़ दिया था, इसलिए उसे यह परिणाम झेलना पड़ा। 


देवी के आशीर्वाद से वीरावती ने फिर से पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा और देवी की कृपा से उसके पति को पुनः जीवन प्राप्त हुआ।


इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। यह कथा महिलाएं एक दूसरे को सुनाती हैं, और इसे सुनने का विशेष महत्व है।


### करवा चौथ व्रत के मंत्र जाप:


करवा चौथ के व्रत में मंत्रों का भी विशेष महत्व होता है। यह मंत्र जाप पूरे व्रत में मन की शुद्धता, ध्यान और ईश्वर के प्रति भक्ति को प्रकट करने के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:


#### **पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए मंत्र**:

इस मंत्र का जाप करवा चौथ के दिन पति की लंबी उम्र और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है:


```Sanskrit

ॐ ऐं क्लीं सौम्या सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।

```


इस मंत्र का 108 बार जाप करने से सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।


#### **चंद्र देवता को अर्घ्य देते समय का मंत्र**:

चंद्रमा के दर्शन के समय इस मंत्र का जाप करके अर्घ्य देना चाहिए:


```Sanskrit

ॐ सोमाय नमः।

```


यह मंत्र चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए है, जिससे व्रत करने वाली महिलाओं को चंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है।


#### **शिव-पार्वती की आराधना के लिए मंत्र**:

भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह मंत्र जाप किया जाता है:



ॐ गौरी शंकराय नमः।

ॐ ऐं क्लीं सौम्या सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।

ॐ सोमाय नमः।
ॐ गौरी शंकराय नमः।
मम सुखसौभाग्यपुत्रपौत्रादि वृद्धि हेतुं श्रीमद्विष्णुप्रीत्यर्थं करकचतुर्थीव्रतं अहं करिष्ये।


यह मंत्र वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौभाग्य को बनाए रखने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।


#### **संकल्प मंत्र** (व्रत का संकल्प लेते समय):

जब महिलाएं करवा चौथ का व्रत आरंभ करती हैं, तो वे निम्न संकल्प मंत्र का उच्चारण करती हैं:



मम सुखसौभाग्यपुत्रपौत्रादि वृद्धि हेतुं श्रीमद्विष्णुप्रीत्यर्थं करकचतुर्थीव्रतं अहं करिष्ये।



इस मंत्र के द्वारा वे अपने सुख-सौभाग्य और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत का संकल्प लेती हैं।


### करवा चौथ व्रत की पूजन विधि:

1. **सूर्योदय से पहले** महिलाएं सरगी (एक विशेष भोजन) ग्रहण करती हैं, जो सास द्वारा दिया जाता है।

2. पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, यानी भोजन और जल का सेवन नहीं किया जाता।

3. शाम को पूजा के समय सुहागन महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं, जिसमें करवा (जल का पात्र), धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत (चावल), और मिठाई होती है।

4. एकत्रित होकर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं।

5. रात को चंद्रमा के दर्शन होने पर महिलाएं चंद्रमा को जल अर्पित करती हैं (अर्घ्य देती हैं) और अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं।


### निष्कर्ष:

करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। व्रत के साथ कथा सुनने और मंत्र जाप करने से व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।



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