जिन साधना कैसे जीनत को अपना सहायक बनाएं कैसे करें जीनों से मित्रता

आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ में सनी शर्मा एक बार फिर से हाजिर हूं आप सभी के लिए जीनत की साधना लेकर काफी ज्यादा लोग इस चीज के पीछे भागते हैं जन कल्याण हेतु एवं लुप्त होते ज्ञान को प्रकाशित करना मेरा कार्य है सभी धर्मों का आदर सत्कार मान करते हुए व्यक्तिगत धारे को ध्यान में रखते हुए मेरा काम आप लोगों को जानकारी देना इंटरनेट से किताब से किसी चीज को नहीं करना चाहिए जब तक आपके ऊपर किसी गुरु का हाथ नहीं है ज्यादा जानकारी के लिए मेरे यूट्यूब चैनल सनी नाथ पर विजिट करें चैनल को सब्सक्राइब बैल आइकन पर क्लिक करें ताकि लाइव चैट में आप मेरे साथ फ्री में बातचीत कर सको अपने सपनों का अर्थ फ्री में आने के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर कर रखें और उसके अलावा बाकी कि मेरी जानकारी वेबसाइट और यूट्यूब के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगी यह साधना गुरु सानिध्य में करनी है गुरु कृपा से करनी है अगर गुरु नहीं है तो इस मंत्र का प्रयोग नहीं करना है इसके लिए आपको उल्टी माला पढ़नी है सवा महीने तक आपने इस कलमे का प्रयोग करना है 1111 बार इस कलमे का प्रयोग करना है नित रात्रि में पढ़ना है लोबान की धूनी देनी है और आपने रसगुल्ले लगाने हैं अपनी समरथ अनुसार उस धोनी के ऊपर लोबान की धूनी और यह रसगुल्ले आपने दे देंगे जो शेष राख बस्ती है उसको किसी तालाब या कुएं में जाकर आपने हल्के से डालते जाना और 21 बार मंत्र का उच्चारण करना है वहीं पर आपको इसकी हाजिरी प्राप्त होनी है वहीं पर यह जिन हाजिर होगा मन नदी हो तलाब हो या फिर कोई अन्य झरना जिसमें आप प्रयोग कर सकते गुरु सानिध्य में प्रयोग करना कलाम नीचे लिखित में है ज्यादा जानकारी के लिए आप मेरे यूट्यूब चैनल सनी नाथ पर विजिट जरूर करें और बिना गुरु के इन साधनों का प्रयोग ना ही करें आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा ।

इल्मीजिन का मंत्र

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम तेरा इलियास जाग-जाग अलाउद्दीन जिन उर्फदे हाजिरी बन्ना इल्मी की शान
सरदोजक से बचे दुहाई सुलेमान पैगंबर की दोहाई जिन्ने तरबीर की हाजिर हो हाजिर हो हाजिर हो ।

यह जन कल्याण हेतु यहां पर प्रकाशित करी गई है इस कलाम का प्रयोग बिना जांचे परखे ना करें क्योंकि बिना गुरु के इस कलाम को सिद्ध नहीं किया जा सकता है साधना सिद्धि के नियम अच्छे से गुरु से समझ कर फिर ही आप इस कल में का प्रयोग करें आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा ।



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