गुरु की सबसे ज्यादा जरूरत होती है नहीं तो ये शक्ति इतनी प्रचंड है की दिमाग की नसें फट सकती हैं। अगर गुरु नहीं मिलता तो simple भक्ति कर सकते हैं
अगर फिर भी लालसा हो की जगानी ही है तब कुछ उपाय कर सकते हैं जिस से ये आराम आराम से धीरे से इफेक्ट डाले नही तो शॉर्ट सर्किट हो जायेगा दिमाग का।
जैसे एक 20Watt ke bulb me 100Watt के बल्ब का करंट डाल देंगे तो वो बल्ब फट जायेगा वैसे ही जिस शरीर ने कभी भक्ति नहीं करी हो और उसमे कोई शक्ति न हो तो वह भी उस ही तरह फट जायेगा।
कुछ हद तक ही जग सकेगी, ऐसा नहीं है की इंटरनेट पर देखने से कुंडलिनी पूरी की पूरी जग जायेगी, ऐसे होने लग गया तो सनातन वैदिक गुरु परंपरा का ह्रास होगा। ऐसा हो ही नही सकता।
कुछ आसान तरीके जिस से कुंडलिनी किसी हद तक जग सकती है वो है:
1. लगातार मंत्र जप
2. ध्यान
3. योग अभ्यास से पहले यम नियम का विचार, उनकी पालना
4. गुरु के द्वारा किया गया शक्ति पाथ
5. गौ चरण रज का तिलक धारण करना
6. शुद्ध देसी वेद लक्षणा गौ घृत घी की 1/1 बूंद नासिका से लेना और ध्यान करना।
7. गौ घृत का तिलक भी आज्ञा चक्र जगा सकता है। अगर सहस्त्रार चक्र पर भी लगाया जाय तब वो भी किसी लिमिट तक जागृत हो सकता है।
योग के कुछ विशेष आसान हैं जैसे मूलबंध, उस से शक्ति ऊपर उठने में आसानी होगी। यद्यपि यह आसन बहुत कठिन है, और बिना गुरु के कुंडलिनी शक्ति को छेड़ना भी खतरे से कम नहीं।
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