कैसे पता चलेगा कि कुंडलिनी जागृत है? (KUNDALINI SHAKTI JAGRIT HONE KE SANKET)


कुंडलिनी एक शक्ति है, देव दुर्लभ मनुष्य तन की ऐसी शक्ति जिसके प्रयोग से समस्त ब्रह्माण्ड का भ्रमण कर सकते हैं, आकाश में विचरने वाले सूक्ष्म जीव, सनकादी ऋषि, नारद जी, आदि महाभागवत जनों से बात कर सकते हैं। कुंडलिनी स्वयं नहीं जागती, इसके लिए भक्ति या तप या जप करना होता है। गुरु के दिए शक्तिपाथ से भी ये जग सकती है।
जिस व्यक्ति की कुंडलिनी जागृत हो जाती है या होने वाली होती है उसके साथ बहुत अनुभव होते हैं।
1. शरीर पर झटके लगने
2. ऐसा लगना की पीठ पर कुछ चढ़ रहा है
3. चींटियां/मच्छर न होने पर भी शरीर पर महसूस होने
4. सोने के समय मंत्र जप अपने आप चलने लग जाना
5. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में अपने आप उठ जाना
6. कभी पूजा के लिए देर होने लगे तो ऐसा लगना कि किसी ने हमारा हाथ हिलाया हो
7. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय ऐसा लगना की शंख और घंटी बज रही है।
8. कभी कभी अचानक से आंखों के सामने सिल्वर चांदी रंग की बारिश होना जो कुछ सेकंड के लिए ही होगी
9. एक बहुत छोटा सा नीले ब्लू कलर का या सिल्वर चांदी के बिंदु यानी डॉट का दिखना
10. पूजा करने के बाद अगर ऐसा लगे कि पीठ दर्द हो रही है और लोअर बॉडी पैन होना, इस का मतलब है कि अभी शक्ति स्थिर नहीं है, शक्ति को ऊपर उठाने के लिए गुरु बनाना होता है।

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