उत्तराखंड देवभूमि में स्थित मां डाट काली मनोकामना सिद्धपीठ का इतिहास—

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❤️जय ❤️माता❤️ दी❤️

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उत्तराखंड देवभूमि में स्थित मां डाट काली मनोकामना सिद्धपीठ का इतिहास—

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उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में मां काली का एक चमत्कारिक मंदिर स्थापित है। यह मंदिर मां डाट काली मनोकामना सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है की जब देहरादून सहारनपुर हाईवे बन रहा था तब माता रानी एक इंजीनियर के सपने में आई थी तथा अपना मंदिर स्थापित करने की बात कह कर चली गई थी। महंत सुखबीर गुसाईं ने माता की मूर्ति यहां पर स्थापित कराई थी। 
 13/जून/1804 को यह मंदिर का निर्माण हुआ था तथा 1921 से यहां अखंड ज्योति निरंतर जलती रहती है। 

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ऐसी मान्यता है की जब भी देहरादून में कोई नई गाड़ी खरीदता है तो मां डाट काली के दर पर जरूर लाता है। माना जाता है की माता हर पल अपने भक्त की रक्षा करती है।यहां पर बांझन को लाल मिलते है,निर्धन को माया मिलती है और मां के सच्चे भक्तो को मां स्वयं चमत्कार करके दिखलाती है। कहा जाता है की मां डाट काली का शेर आज भी मंदिर के आस पास घूमता है। मां के शेर के पैर में सोने का कड़ा है।

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 जब अंग्रेजो को दून घाटी में प्रवेश हेतु सुरंग बनानी थी तब वह सुरंग बनने में बार बार विफल हो रहे थे। बाद में उन्होंने भी मां डाट काली को शीश नवाया तथा तब ही वह सुरंग का कार्य पूरा हो पाया।
पहाड़ी भाषा में सुरंग को डाट बोलते है, इसीलिए  माता का नाम डाट काली पड़ गया।
जब भी कोई मंदिर के आगे से वहान जाता है तो वह डाट काली माता को शीश नवाए बिना आगे नही जाते। 

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गोरखा सेनापति बलभद्र थापा द्वारा स्थापित मां भद्रकाली मंदिर ,मां डाट काली मंदिर के बगल में ही है। भक्तजन दोनो मंदिरों में प्रसाद चढ़ा कर माता का आशीर्वाद लेते है।

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