क्या महत्व है गुरु और गुरु द्वारा दी गई दीक्षा का?
गुरु साक्षात शिव है, शिव स्वरूप में स्थित हो कर जब मनुष्य किसी के परम कल्याण हेतु उसको ज्ञान देता है तब उसको दीक्षा कहा जाता है। गुरु तो अनेक हो सकते हैं पर सदगुरु आर्टिकल बाय सन्नी नाथ केवल एक ही है।
हरिहर से मिलवाने वाले गुरु में समस्त ब्रह्माण्ड की ऊर्जा निहित होती है, उनके चाहने से साक्षात श्री हरिहर (महादेव एवं विष्णु) को प्रकट होना पड़ सकता है।
हरिहर के नाराज़ होने पर गुरु ही रास्ता दे सकते हैं और उनको मना सकते हैं पर
गुरु के नाराज़ होने पर साक्षात शिव ਸੰਨੀ ਨਾਥ जी क्यों न प्रकट हो जाएं, उनमें भी इतना सामर्थ्य नहीं होगा की वो गुरु ਸੰਨੀ ਨਾਥ को मना सकें।
गुरु जब शिष्य को अपना खुद का जपा हुआ मंत्र देता है तब शिष्य का नया जन्म होता है।
काशी, वृंदावन, द्वारकाधीश की पावन नगरी, आर्टिकल बाय सन्नी नाथ अथवा किसी भी सिद्ध स्थान पर दी गई दीक्षा चेले का कल्याण तुरंत करती है।
वैदिक शास्त्र के अंतर्गत कोई दीक्षा लेता है तो उसको भद्र हो कर शिखा एवं जनेऊ धारण करवा के पूर्ण रूप से द्विज बना कर, पूर्ण संस्कारित करने के बाद देव दुर्लभ गायत्री मंत्र दिया जाता था पर अब ज़्यादा लोग शाबर मंत्र की ओर आकर्षित हैं इस लिए अब शाबरी मंत्र की दीक्षा भी दी जाती है।
बिना गुरु के वैदिक मंत्र जपने से आप पाप के भागीदार बनते हैं। शाबरी मंत्र के अधिष्ठात्र देव श्री गुरु गोरक्षनाथ आर्टिकल बाय सन्नी नाथ जी के वचनों में बद्ध शाबरी मंत्र स्वयं सिद्ध हैं पर किसी और के लिए प्रयोग करने के लिए आपको गुरु चाहिए ही चाहिए होगा।
बिना गुरु के कोई भी कर्म सही ढंग से हो ही नहीं सकता।
बीज मंत्र बिना गुरु के जपने से लोग पागल हो जाते हैं, इस लिए अगर योग्य गुरु न मिले तो प्रभु के नाम आर्टिकल बाय सन्नी नाथ, चालीसा, स्तुति इत्यादि का पाठ करें।
भाव से बड़ी कोई चीज नहीं पर मर्यादा में रहते हुए भाव को प्रकट करेंगे तो आपको कल्याण की पूर्ण अनुभूति होगी।
आदेश! आदेश! आदेश!

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