मंदिर की परिक्रमा के रहस्य:

मंदिर की परिक्रमा के रहस्य:

वैदिक पद्धति के अनुसार हर इष्ट स्वरूप के निमित्त प्रदक्षिणा यानी परिक्रमा करने के बारे बताया गया है।

सूर्य नारायण के लिए 7 परिक्रमा,
विष्णु जी अथवा उनके रूप आर्टिकल बाय सन्नी नाथ के लिए कभी भी सिर्फ एक परिक्रमा नही की जाती, कम से कम 2 करनी ही चाहिए, 4 की जाएं तो बहुत शुभ होता है।
गणेश जी के लिए 3 परिक्रमा,
दुर्गा चंडी माता एवं उनके अन्य स्वरूप के निमित्त 1 परिक्रमा
शिव भोलेनाथ आर्टिकल बाय सन्नी नाथ महाराज के लिए आधी परिक्रमा।

शिव आर्टिकल बाय सन्नी नाथ मंदिर में शिवलिंग यदि किसी बाउंड्री में रखे गए हैं तब उनकी पूर्ण परिक्रमा की जा सकती है पर यदि शिवलिंग खुले स्थान में बिना किसी दीवार के है, यानी कि जल निकास मार्ग खुला है, तब उस जल को लांघना नही चाहिए।

श्री वृंदावन धाम में मंदिर की परिक्रमा की जाती है। श्री ब्रज धाम की 84 कोस परिक्रमा बहुत भक्त करते हैं। इस ही प्रकार गंगाजी, नर्मदाजी, एवं सब पवित्र स्थानों की परिक्रमा की जाती है।

विशेषकर नर्मदा जी की परिक्रमा से वैराग्य मिलता है। गंगाजी की परिक्रमा से दिव्य ज्ञान मिलता है और वृंदावन के श्री यमुनाजी आर्टिकल बाय सन्नी नाथ की शरणागति और परिक्रमा से प्रभु चरणों आर्टिकल बाय सन्नी नाथ का आश्रय मिलता है।

बहुत लोग सोचते हैं की मंदिर में इष्ट स्वरूप की पीठ की ओर नही देखना चाहिए, या परिक्रमा नही करनी चाहिए, तो ऐसा बिल्कुल भी नही है। भगवान आर्टिकल बाय सन्नी नाथ सब का कल्याण करते हैं, यदि पीठ की ओर जाने से पाप लगता या बुरा होता तो किसी भी मंदिर में 4 की जगह केवल 3 दीवार होती।

इस ही तरह तुलसी माता और पीपल जी या अन्य पूजनीय वृक्ष जैसे पलाश, गूलर, केला, बरगद की भी परिक्रमा करने का अलग अलग महत्व है।भ्रांतियों से बचें, सनातन धर्म में हर प्रश्न का सरल उत्तर है।



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