मां भगवती के 108 नाम का पाठ करने से सम्पूर्ण दुर्गा पाठ का फल मिलता है।
श्री भगवती नाम माला
एक दिन वट वृक्ष के नीचे थे शंकर ध्यान में।
सती की आवाज आई मीठी उनके कान में।
दुनिया के मालिक मेरे अविनाशी भंडारी हो।
देवन के महादेव हो त्रिशूल डमरू धारी हो।
विनय सुनकर मेरी भगवान दया तो दिखलाइए।
भगवती की नाम माला मुझ को भी बतलाइए।
इतना सुनकर मुस्कुराकर बोले गिरिजा पति।
अपने नामों की ही महिमा सुनना चाहती हो सती।
तो सुनो ये नाम तेरे जो मनुष्य भी गायेगा। दुनिया में
भोगेगा सुख अन्त मुक्ति पायेगा।
नाम जो स्तोत्र तुम्हारा मंत्र एक सौ आठ का।
जो पढेगा फल वो पाये सारे दुर्गा पाठ का।
लो सुनाता हुं तुम्हें कितने पवित्र नाम है।
जिसके पढ़ने सुनने से होते पूर्ण काम है।
सती,साध्वी,भवप्रीता,जय भव मोचनी,भवानी जै।
दुर्गा,आर्या,जय त्रियलोचनी,शुलेशवरी महारानी जै।
चंद्रघण्टा,महातपा,विचित्रा,मनपिनाक धारणी जै।
सत्यानन्द,सवरूपनी,सती भक्तन कष्टनिवारणी जै।
चेतना,बुद्धी,चित रूपा,चिंता,अहंकार निवारणी जै।
सर्वमंत्र माया,भवानी,भव्या,मानुष जन्म संवारणी जै।
तू अनंता,भव्या,अभव्या,देव माता,शिव प्यारी है।
दक्ष यज्ञ विनाशनी,तू सुर सुंदरी दक्ष कुमारी है।
तू काली,महाकाली,चंण्डी,ज्वाला,नैनां दाती है।
चामुंण्डा,निशुंम्भ विनाशनी,दुःख दानव की घाती है।
कन्या,कौमारी,किशोरी,महिषासुर को मार दिया है।
चण्ड मुण्ड नाशिनी,जै बाला दुष्टो का संहार किया है।
शस्त्र,वेदज्ञाता,जगत जननी खण्डा धारती है।
संकट हरनी,मंगल करनी तू दासों को तारती है।
कल्याणी,विष्णु माया,तू जलोधारी,परमेश्वरी जै।
भद्रकाली,प्रतिपालक,शक्ति जगदम्बे जगदेशवरी जै।
तू नारायणी भक्त की रक्षक वैष्णवी,ब्रर्ह्मणी तू।
वायु,निंद्रा,अष्टभुजी,सिंहवाहिनी सब सुखदानी तू।
ऐन्द्री,कैशी,अग्नि,मुक्ति,शिवदुती कहलाती हो।
रुद्रमुखी,प्रोड़ा,महेशवरी,ऋदि,सिदि बन जाती हो।
दुर्गा,जगदम्बे,महामाया,कन्या,आध कवांरी तू।
अन्नपूर्णा,चिंन्तपूर्णी,शीतला शेर सवारी तू।
पाटला,पाटलावति,कुष्मांडा,पीताम्बर धारणी जै।
कात्यायनी,जै लक्ष्मी,वारहीं,भाग्य संवारनी जै।
सर्वव्यापनी जीव जन्म दाता तू पालनहारी है।
कर्ता धर्ता हर्ता मैय्या तेरी महिमा न्यारी है।
तेरे नाम अनेक हैं दाती कौन पार पा सकता है।
तेरी दया से भक्त भवानी तेरे ही गुण गा सकता है।
जगत माता महारानी अम्बे एक सो आठ ये नाम।
पढ़े सुने जो श्रद्धा से पुर्ण हो सब काम।
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