अघोर साधना में गुरु मंत्र का विशेष महत्व है। यह मंत्र साधक को अघोरी मार्ग पर साधना करने की शक्ति, सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करता है। अघोर पंथ के गुरु, जिन्हें "अवधूत" या "अघोराचार्य" कहा जाता है, साधक को एक विशिष्ट मंत्र प्रदान करते हैं, जो उसकी आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाता है।
प्रसिद्ध अघोर गुरु मंत्र:
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अघोर मंत्र:यह मंत्र अघोरी साधकों द्वारा अपने इष्टदेव (शिव) की आराधना के लिए जपा जाता है।ॐ अघोरेभ्यो घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः।सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते रुद्र रूपेभ्यः।।
- यह मंत्र शिव के अघोर स्वरूप को समर्पित है और साधक को भय से मुक्त करता है।
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भैरव मंत्र:अघोरी साधना में कालभैरव का भी अत्यधिक महत्व है।
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः।
- यह मंत्र साधक को ऊर्जा और सुरक्षा प्रदान करता है।
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गुरु वंदना मंत्र:गुरु के प्रति समर्पण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।ॐ गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः।गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
- इस मंत्र से साधक अपने गुरु की कृपा और मार्गदर्शन प्राप्त करता है।
गुरु मंत्र जप के नियम:
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गुरु से दीक्षा:अघोरी गुरु मंत्र बिना गुरु की दीक्षा के प्रभावी नहीं माना जाता। यह एक पवित्र प्रक्रिया है।
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शुद्धि और साधना:मंत्र जप से पहले मन और शरीर की शुद्धि आवश्यक है।
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नियमितता:प्रतिदिन एक निश्चित समय पर, पवित्र स्थान में मंत्र का जाप करें।
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संकल्प और ध्यान:मंत्र जाप से पहले गुरु और इष्टदेव का ध्यान करें और उनसे मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें।
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मंत्र माला:रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करें।
मंत्र का महत्व:
- सुरक्षा: अघोरी साधक को बाहरी और आंतरिक खतरों से बचाने के लिए।
- शक्ति: साधना में स्थिरता और ऊर्जा प्रदान करने के लिए।
- ज्ञान: ब्रह्मांडीय सत्य और आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए।
गुरु मंत्र अघोर साधना का आधार है। इसे अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ जपना चाहिए।
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