विषकर्म जी की पूजा और हवन मंत्र जापविषकर्म जी, वास्तु और निर्माण के देवता हैं। उनकी पूजा से घर, भवन और कार्यस्थल में सकारात्मकता और समृद्धि आती है। यहाँ विषकर्म जी की पूजा और हवन विधि के साथ मंत्र दिए गए हैं।

विषकर्म जी की पूजा और हवन मंत्र जाप

विषकर्म जी, वास्तु और निर्माण के देवता हैं। उनकी पूजा से घर, भवन और कार्यस्थल में सकारात्मकता और समृद्धि आती है। यहाँ विषकर्म जी की पूजा और हवन विधि के साथ मंत्र दिए गए हैं।

आवश्यक सामग्री

1. पूजा सामग्री:

विषकर्म जी की प्रतिमा या चित्र

हवन कुंड

हवन सामग्री (तिल, चावल, गुड़, घी)

पुष्प (गुलाब, चंपा आदि)

फल और मिठाई (नैवेद्य के लिए)

दीपक और अगरबत्ती

चंदन और कुमकुम




पूजा विधि

1. स्थान का चयन:

एक साफ और शुद्ध स्थान का चयन करें।



2. सफाई और पवित्रता:

पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें।



3. विषकर्म जी की स्थापना:

विषकर्म जी की प्रतिमा या चित्र को एक साफ कपड़े पर रखें।



4. दीप जलाना:

भगवान के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।



5. पूजा प्रक्रिया:

सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें।

फिर विषकर्म जी का पूजन करें। उन्हें फूल, फल, और मिठाई अर्पित करें।




हवन विधि

1. हवन अग्नि प्रज्वलित करें:

हवन सामग्री से अग्नि प्रज्वलित करें।



2. मंत्रों का जाप:

हवन करते समय निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें:


हवन मंत्र:

ॐ विष्कर्मणे नमः

संप्रदाय मंत्र:

ॐ सहस्रशीर्षं पुरुषं वीरूध्वजं शान्ति चित्।
विषकर्माणं प्रार्थयामि मम सौख्यम्॥


3. आहुति दें:

हवन अग्नि में तिल, चावल, गुड़ और घी की आहुति देते समय मंत्र का उच्चारण करें:


ॐ विषकर्मणे नमः (हर आहुति के साथ)



पूजा के बाद

1. आरती:

हवन के बाद विषकर्म जी की आरती करें।



2. प्रसाद वितरण:

हवन का प्रसाद परिवार में बांटें।




निष्कर्ष

विषकर्म जी की पूजा और हवन से आपके कार्यस्थल और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करना महत्वपूर्ण है, जिससे आपके कार्य सफल हों और जीवन में सुख-समृद्धि आए।



No comments:

Post a Comment