धनतेरस की पूजा और हवन विधि DIWALI KA PUJAN OR VIDHI

धनतेरस की पूजा और हवन विधि

धनतेरस, दीपावली महोत्सव का पहला दिन होता है और इसे धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। यहाँ धनतेरस की पूजा और हवन की विधि, साथ ही मंत्रों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

पूजा की तैयारी

आवश्यक सामग्री

1. पूजा सामग्री:

भगवान धन्वंतरि और कुबेर की प्रतिमा या चित्र

दीपक (घी या तेल)

फूल (गुलाब, चंपा)

फल (सेब, नारंगी, मिठाई)

चंदन, अगरबत्ती

कुमकुम और चावल

ताम्र (कॉपर) या सोने/चांदी के बर्तन (धातु खरीदने के लिए)

पानी का कलश (कुबेर की पूजा के लिए)



2. हवन सामग्री:

हवन कुंड

हवन लकड़ी (आम, पीपल)

तिल, चावल, गुड़, घी




पूजा विधि

1. स्थान का चयन:

एक स्वच्छ और शुद्ध स्थान का चयन करें। preferably उत्तर-पूर्व दिशा में।



2. सफाई और पवित्रता:

पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें।



3. प्रतिमा की स्थापना:

भगवान धन्वंतरि और कुबेर की प्रतिमा या चित्र को एक साफ कपड़े पर रखें।



4. दीप जलाना:

भगवान के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।



5. गणेश पूजन:

सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें।



6. धन्वंतरि और कुबेर का पूजन:

धन्वंतरि को औषधियों और स्वास्थ्य का प्रतीक मानकर, उन्हें पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करें।

कुबेर को धन और समृद्धि का देवता मानकर, उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।




हवन विधि

1. हवन अग्नि प्रज्वलित करें:

हवन सामग्री से अग्नि प्रज्वलित करें। हवन कुंड में लकड़ी को व्यवस्थित रूप से रखें और अग्नि प्रज्वलित करें।



2. मंत्रों का जाप:

हवन करते समय निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें:


धन्वंतरि मंत्र:

ॐ श्री धन्वंतरये नमः

कुबेर मंत्र:

ॐ श्रीं ह्लीं श्री महालक्ष्म्यै नमः


3. आहुति दें:

हवन अग्नि में तिल, चावल, गुड़ और घी की आहुति देते समय यह मंत्र उच्चारण करें:


ॐ कुबेराय नमः (हर आहुति के साथ)


4. नैवेद्य अर्पण:

हवन के बाद भगवान को अर्पित किए गए नैवेद्य का प्रसाद परिवार में बांटें।




पूजा के बाद

1. आरती:

हवन के बाद भगवान धन्वंतरि और कुबेर की आरती करें।



2. प्रसाद वितरण:

हवन का प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों में बांटें।




निष्कर्ष

धनतेरस की पूजा और हवन से न केवल धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य और खुशहाली का भी प्रतीक है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करना आवश्यक है, जिससे आपके घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का संचार हो सके।



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