दिवाली पर यक्षिणी साधना एक विशेष साधना मानी जाती है, जिसमें तंत्र के माध्यम से यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। यक्षिणी को तांत्रिक साधना में एक विशेष स्थान दिया गया है और मान्यता है कि यक्षिणी साधना से साधक को भौतिक सुख, धन, समृद्धि, और इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त हो सकती है।

 दिवाली पर यक्षिणी साधना एक विशेष साधना मानी जाती है, जिसमें तंत्र के माध्यम से यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। यक्षिणी को तांत्रिक साधना में एक विशेष स्थान दिया गया है और मान्यता है कि यक्षिणी साधना से साधक को भौतिक सुख, धन, समृद्धि, और इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त हो सकती है।


### यक्षिणी साधना का महत्व:

1. **धन प्राप्ति**: यक्षिणी साधना को धन और ऐश्वर्य प्राप्ति का साधन माना गया है। दिवाली के अवसर पर इसे विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है, क्योंकि यह दिन धन की देवी लक्ष्मी का भी होता है।

  

2. **अकर्षण और वशीकरण**: यक्षिणी साधना को किसी विशेष व्यक्ति या समाज पर अपनी प्रभावशीलता बढ़ाने और आकर्षण शक्ति प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।


3. **रक्षा**: यक्षिणी साधना से नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का भी विश्वास होता है।


### यक्षिणी साधना की विधि:

1. **समय और स्थान**: दिवाली की रात को यक्षिणी साधना विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है। साधना को एकांत स्थान में किया जाना चाहिए, जहां कोई व्यतिक्रम न हो।

  

2. **सामग्री**: 

   - लाल वस्त्र

   - यक्षिणी की मूर्ति या चित्र

   - चंदन, कुमकुम, और पुष्प

   - विशेष यक्षिणी मंत्र का जाप

   - देसी घी का दीपक

 

3. **मंत्र**: यक्षिणी के कई मंत्र होते हैं, जिनमें से कुछ साधारण साधकों के लिए उपयुक्त नहीं होते। इसलिए किसी योग्य गुरु या तांत्रिक से मंत्र और विधि की जानकारी लेना आवश्यक होता है।


4. **विधि**:

   - साधक को पहले स्नान करके शुद्ध होकर साधना के लिए बैठना चाहिए।

   - लाल वस्त्र धारण करें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके यक्षिणी का ध्यान करें।

   - यक्षिणी की मूर्ति या चित्र को सामने रखकर दीपक जलाएं।

   - यक्षिणी मंत्र का 108 बार जाप करें।

  

5. **सावधानियां**: यक्षिणी साधना शक्तिशाली होती है और इसे करने से पहले सही मार्गदर्शन और शुद्ध ह्रदय आवश्यक होता है। तंत्र साधना के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, यक्षिणी साधना किसी योग्य गुरु की देखरेख में करना ही सही माना जाता है, क्योंकि गलत तरीके से की गई साधना से विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं।


यक्षिणी साधना तांत्रिक प्रक्रियाओं से जुड़ी है और इसमें साधक को धैर्य, दृढ़ता, और मानसिक शक्ति की आवश्यकता होती है।



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