**पितृ पक्ष** (श्राद्ध पक्ष) हिन्दू धर्म में पूर्वजों (पितरों) को समर्पित 16 दिन का एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या (महालय अमावस्या) तक चलता है। इस समय में किए गए कर्म, दान और पूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती

 **पितृ पक्ष** (श्राद्ध पक्ष) हिन्दू धर्म में पूर्वजों (पितरों) को समर्पित 16 दिन का एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या (महालय अमावस्या) तक चलता है। इस समय में किए गए कर्म, दान और पूजा से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। पितरों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा को तृप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं।


### पितरों को मनाने के लिए पितृ पक्ष के प्रमुख उपाय:


1. **श्राद्ध कर्म**:

   - पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शामिल होता है। श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति आती है।

   - श्राद्ध में शामिल तीन प्रमुख कर्म हैं: **तर्पण**, **पिंडदान**, और **भोजन**।

     - **तर्पण**: तर्पण का अर्थ है जल अर्पित करना। जल में काले तिल, कुशा और दूध मिलाकर पूर्वजों के नाम पर जल अर्पित किया जाता है।

     - **पिंडदान**: पिंडदान में आटे के पिंड बनाकर उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है।

     - **भोजन**: ब्राह्मणों और गायों को भोजन कराकर और जरूरतमंदों को भोजन का दान देकर पितरों का तृप्त किया जाता है।


2. **गाय और कौओं को भोजन देना**:

   - पितृ पक्ष में गाय, कौए, और कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि कौए पितरों के संदेशवाहक होते हैं, और उन्हें भोजन देने से पितर तृप्त होते हैं।

   - हर दिन घर के बाहर या छत पर कौए और पक्षियों के लिए भोजन रखें, जैसे कि रोटी, चावल, या अन्य अनाज।


3. **पितृ तर्पण**:

   - पितरों को जल अर्पित करना (तर्पण) एक प्रमुख अनुष्ठान है। तर्पण के दौरान जल में तिल, कुशा, और सफेद फूल मिलाकर पूर्वजों के नाम से जल अर्पित किया जाता है। यह तर्पण सूर्योदय के समय किया जाता है।

   - इस तर्पण को नदी, तालाब, या किसी पवित्र जल स्रोत के किनारे किया जा सकता है।


4. **दान-पुण्य**:

   - पितृ पक्ष में ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आप भोजन, वस्त्र, अनाज, तिल, घी, गुड़, और जरूरत की चीज़ें दान कर सकते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

   - विशेष रूप से, इस समय सफेद वस्त्र, चावल, तिल, और दूध का दान पितरों को प्रसन्न करता है।


5. **सपिंड श्राद्ध**:

   - यदि आप पितरों का सपिंड श्राद्ध कर सकते हैं, तो इसे अवश्य करें। यह पितरों की आत्मा के उद्धार के लिए महत्वपूर्ण होता है और इसमें पिंड बनाकर जल में प्रवाहित किया जाता है। पिंडदान करने से पितर तृप्त होते हैं और उनके आशीर्वाद से परिवार में शांति और समृद्धि आती है।


6. **पितृ सूक्त का पाठ**:

   - पितृ पक्ष में **पितृ सूक्त** का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पाठ पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करता है।

   - इसके साथ ही **"ॐ पितृभ्यः स्वधा"** मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।


7. **आमवस्या के दिन विशेष पूजा**:

   - पितृ पक्ष की **अमावस्या (महालय अमावस्या)** के दिन विशेष रूप से पितरों की पूजा की जाती है। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं।


8. **पितृ दोष निवारण**:

   - यदि कुंडली में पितृ दोष है, तो पितृ पक्ष में पितृ दोष निवारण के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि ब्राह्मण भोज, रुद्राभिषेक, और नारायण बलि पूजा। यह पूजा परिवार में चल रही समस्याओं को दूर करने के लिए की जाती है।


### ध्यान रखने योग्य बातें:

- पितृ पक्ष में सात्विक आहार ग्रहण करें और अपने जीवन में अनुशासन रखें।

- किसी भी जीव की हत्या या हिंसा से बचें।

- घर में शांति बनाए रखें और पितरों को याद करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।


इन उपायों से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

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