### हवन की तैयारी:
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1. **सामग्री**: हवन कुंड, आम की लकड़ी, कपूर, घी, हवन सामग्री (समिधा, गुड़, चावल, तिल, जौ, घी मिश्रित सामग्री), चंदन, पुष्प, कुमकुम, रोली, आचमन के लिए जल, पूजा की थाली, और नवग्रह समिधा।
2. **स्थान**: हवन करने के लिए शुद्ध और स्वच्छ स्थान का चयन करें। हवन कुंड को एक चौकी पर स्थापित करें और उसके चारों ओर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
3. **दीप प्रज्वलन**: हवन से पहले दीपक प्रज्वलित करें और गणपति, नवग्रह, और इष्ट देवी-देवताओं का ध्यान करें।
### हवन की विधि:
1. **संकल्प**:
- दाहिने हाथ में जल, पुष्प, और अक्षत (चावल) लेकर संकल्प करें। संकल्प में हवन का उद्देश्य और अपनी मनोकामना को ध्यान में रखें।
2. **आचमन**:
- हाथ में जल लेकर आचमन करें और "ॐ केशवाय नमः", "ॐ नारायणाय नमः", "ॐ वासुदेवाय नमः" मंत्रों का उच्चारण करें।
3. **गणपति पूजा**:
- "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र के साथ गणपति का पूजन करें।
4. **अग्नि प्रज्वलन**:
- हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर रखकर अग्नि प्रज्वलित करें। "ॐ अग्नये नमः" मंत्र का जाप करें।
5. **हवन सामग्री अर्पण**:
- हवन सामग्री को एक-एक करके अग्नि में अर्पण करें। प्रत्येक आहुति के साथ "स्वाहा" बोलें। विशेष मंत्रों का जाप करते हुए आहुति दें। उदाहरण के लिए:
- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा"
- "ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा"
- हवन सामग्री को त्रिपुटी में अर्पित करें (हाथ में सामग्री लेकर "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं" बोलें, फिर अग्नि में अर्पण करें और "स्वाहा" कहें)।
6. **नवग्रह आहुति**:
- नवग्रहों की शांति के लिए विशेष आहुति दें:
- सूर्य: "ॐ सूर्याय नमः स्वाहा"
- चंद्र: "ॐ सोमाय नमः स्वाहा"
- मंगल: "ॐ भौमाय नमः स्वाहा"
- बुध: "ॐ बुधाय नमः स्वाहा"
- गुरु: "ॐ बृहस्पतये नमः स्वाहा"
- शुक्र: "ॐ शुक्राय नमः स्वाहा"
- शनि: "ॐ शनैश्चराय नमः स्वाहा"
- राहु: "ॐ राहवे नमः स्वाहा"
- केतु: "ॐ केतवे नमः स्वाहा"
7. **पूर्णाहुति**:
- अंत में पूर्णाहुति दें। इसमें घी, हवन सामग्री, फल, और पुष्प अर्पित करें। "ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्" मंत्र का जाप करें।
8. **प्रसाद वितरण**:
- हवन समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण करें और सभी को हवन की आहुति का आशीर्वाद दें।
### हवन के बाद:
1. **शांति पाठ**:
- हवन के बाद शांति पाठ करें: "ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षँ शान्तिः, पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वँ शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥"
2. **ध्यान और प्रार्थना**:
- हवन के बाद कुछ समय के लिए ध्यान और प्रार्थना करें। अपनी मनोकामना को देवी दुर्गा के समक्ष रखें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
गुप्त नवरात्रि में हवन करने से मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है और देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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