शीतला माता को भारतीय परंपरा में उन्होंने जीवन की रक्षा और रोगों की निवारण की देवी के रूप में पूजा जाता है।

 शीतला माता को भारतीय परंपरा में उन्होंने जीवन की रक्षा और रोगों की निवारण की देवी के रूप में पूजा जाता है। वे मौसम के बदलाव के साथ ही बीमारी और विपदाओं के साथ जुड़े हुए हैं। शीतला माता को अक्सर मसानी माता के रूप में भी जाना जाता है। वे घास की देवी के रूप में भी पूजा जाती हैं क्योंकि उनके पूजन से लोग विभिन्न बीमारियों से बच सकते हैं। शीतला माता की शक्ति की कहानी में कई विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न परंपराएं और विचार होते हैं, लेकिन उनकी मुख्य विशेषता यह है कि वे रोग और आपदा की रक्षा करती हैं। वे अक्सर लाल रंग की साड़ी में चित्रित की जाती हैं, और उनकी पूजा के समय लोग उन्हें प्रसाद के रूप में बालू की रोटियाँ, धूप, फूल, और बादाम के दाने देते हैं।

शीतला माता की शक्ति को शीतला शक्ति या शीतला शत्कि कहा जाता है। यह शक्ति उन्हें रोगों और बुराई से बचाने की क्षमता प्रदान करती है। शीतला माता की शक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा है उनकी पूजा और अर्चना में, जिसे लोग अपने जीवन में सुरक्षा और सुख-संपत्ति की कामना के साथ करते हैं। यह शक्ति उनकी भक्तों को स्थायित्व और स्थिरता की भावना प्रदान करती है, जिससे उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं में सहायता मिलती है।

"शीतला मसानी की शक्ति" का अर्थ होता है "शीतला माता की शक्ति"। यह शक्ति शीतला माता के पूजन और आराधना के द्वारा प्राप्त की जाती है और उनके भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करने की मान्यता है। लोग शीतला माता की शक्ति का स्मरण करते हैं और उनकी कृपा का आशीर्वाद मांगते हैं जब वे किसी संकट या बीमारी से पीड़ित होते हैं। इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए, वे शीतला माता की पूजा करते हैं और उनके चरणों में अर्पण करते हैं। इस प्रकार, "शीतला मसानी की शक्ति" उनकी भक्ति और साधना का प्रतीक होता है।






No comments:

Post a Comment