गुरु गोरखनाथ जी के गुप्त मंत्रो की सिद्दी करने का विधान GURU GORAKHNATH JI KA MANTRA JAAP GUPT SADHANA SIDDHIYA

मंत्रों का सिद्ध करना विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में प्रचलित है। यह भारतीय संस्कृति में भी एक महत्वपूर्ण भाग है। शक्तिशाली मंत्रों को आमतौर पर उपासना या ध्यान के द्वारा सिद्ध किया जाता है। इसमें ध्यान, ध्यान, मंत्रजाप, आसन, प्राणायाम, योग आदि के तरीके शामिल हो सकते हैं।


शक्तिशाली मंत्रों को सिद्ध करने की प्रक्रिया आमतौर पर निम्नलिखित कदमों में सम्पन्न की जाती है:


1. **गुरु का चयन**: पहले कदम में, ध्यानी व्यक्ति को एक सिद्ध गुरु का चयन करना चाहिए, जो उन्हें इस प्रकार की उपासना के मार्गदर्शन में सहायता कर सकते हैं।

  

2. **पूर्व-ध्यान**: ध्यान की शुरुआत में, ध्यानी को अपने मन को शांत और नियमित करने के लिए पूर्व-ध्यान करना चाहिए।


3. **मंत्रजाप**: ध्यान की स्थिरता के बाद, ध्यानी को उस शक्तिशाली मंत्र का जाप करना चाहिए जिसे वह सिद्ध करना चाहता है। मंत्र के जाप को नियमित और ध्यानपूर्वक किया जाना चाहिए।


4. **आसन और प्राणायाम**: इस प्रक्रिया में, आसन और प्राणायाम का अभ्यास भी किया जाता है, जो ध्यान को सुखद और स्थिर बनाने में मदद कर सकता है।


5. **ध्यान**: जब मंत्रजाप और अन्य अभ्यास कर लिए जाते हैं, तो ध्यानी को ध्यान में चला जाना चाहिए। यह अवस्था मन को एकाग्र करने और अन्य चिंताओं से बाहर आने की अनुभूति कराती है।


6. **समाधि**: ध्यान की अंतिम स्थिति, जिसे समाधि कहा जाता है, में ध्यानी का मन पूरी तरह से एकाग्र होता है और वह अपने उद्देश्य की प्राप्ति में पूरी तरह से विलीन हो जाता है।


इस प्रक्रिया को सम्पन्न करने के बाद, ध्यानी को संबंधित मंत्र की शक्ति का अनुभव होता है, जो उसे उसके उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद करता है। यह सभी अद्भुत मंत्र और उनकी शक्तियों की प्राप्ति के लिए अमूल्य हो सकता है, लेकिन ध्यान को सही रूप से समझाने और अनुशासनपूर्वक अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। इसे सिद्ध करने के लिए धैर्य, निष्ठा और निरंतर अभ्यास के आधार पर जाप करे आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ !




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