गुरु मंत्र
आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ साधना सिद्धि में सफलता प्राप्ति के लिए गुरु मंत्र का होना बहुत जरूरी है गुरु के बिना आप साधना में सफल नहीं हो सकते हो और गुरु मंत्र का जाप करने से पहले दीक्षा जरूर ले इस मंत्र का जाप किसी गुरु के सानिध्य में एवं उनके मुख से मंत्र को लेकर दीक्षा का भोग प्रसाद गुरु को देखकर फिर ही इस मंत्र का प्रयोग करें अगर आप इस मंत्र का प्रयोग करना चाहते हैं आप लोग मेरे साथ भी कंसल्ट कर सकते हैं इस मंत्र के जाप में आप लोगों का भोग प्रसाद 5155 आएंगे या आपको देने पड़ते हैं इसमें ही आपको यह मंत्र इस मंत्र का छोटा सा हवन का अनुष्ठान आपके नाम का किया जाएगा
शिव गुरुमंत्र - ॐ शिव गुरवे नमः
दत्त गुरुमंत्र - हरि ॐ ततसत जय गुरुदत्त
●विधि●
यह साधना आपने गुरु सानिध्य में करनी है यह साधना करने से पहले आप लोग साधना का नियम समझ ले रुद्राक्ष की माला के ऊपर आपने जाप करना और नीचे किस-किस माला पर मंत्र जाप करना है उसका विवरण लिखा गया है मंत्र जाप करने से पहले आप लोगों को आसन की व्यवस्था करनी पड़ेगी एवं वस्त्रों की व्यवस्था करनी पड़ेगी यह साधना आपने संकल्प लेकर करनी है जिसमें आपने अपना नाम अपने पिताजी का नाम आपका एड्रेस एवं आपके गोत्र का नाम लेना है 41
दिनों तक नित्य 21 माला का जाप एक टाइम में करना है पूजा आपने दो टाइम करनी है धीरे-धीरे साधना काल में विभिन्न प्रकार के आप लोगों को स्वपन होंगे उन सपनों के आधार पर ही आप लोगों को साधना का फल प्राप्त होगा हो सके तो यह मंत्र दीक्षा लेकर ही फिर इस मंत्र का प्रयोग करें शिक्षा शुल्क ऊपर है आप लोग मेरे व्हाट्सएप नंबर एवं टेलीग्राम नंबर पर कंसल्ट कर सकते हैं एक ही नंबर है 9891595270 मेरी वेबसाइट को अच्छे से पढ़ ले फिर ही मेरे साथ करें इस मंत्र का जाप करने के बाद अब दुनि
या की कोई भी साधना का अनुष्ठान योग गुरु के सानिध्य में कर सकते हो गुरु दत्तात्रेय महाराज जी की अपार कृपा दृष्टि से आप लोगों की साधना सफल जरूर होगी आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा।
सामग्री
माला - शिव हेतु रुद्राक्ष, गुरु दत्त हेतु तुलसी अथवा रुद्राक्ष
आसन - पिला अथवा श्वेत
वस्त्र - पीले अथवा श्वेत
दिशा - पूर्व अथवा उत्तर
जप संख्या - 21 प्रतिदिन
इस प्रकार नियमित गुरुमंत्र का जप कर अपनी आध्यात्मिक प्रगति करते रहें। फिर किसी भी साधना से पूर्व गुरुमंत्र का मा 11 माला या यथासम्भव जप करके ही मूल साधना करें। इससे गुरु का संरक्षण व मार्गदर्शन सदैव प्राप्त होगा।
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