गुप्त नवरात्रि पर मां काली की सवारी लेने वाला सिद्ध शाबर मंत्र जाप GUPT NAVRATRI PAR MAA KI SAWARI LENE KA JAAP

दर्शन हेतु श्री काली मन्त्र

आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ में सनी शर्मा एक बार फिर से आप सभी के लिए नवरात्रि पर मां काली की साधना लेकर आया हूं हर एक साधना को करने से पहले उस साधना के नियम गुरु से समझकर उन मंत्रों का प्रयोग करें जन कल्याण हेतु और लोगों का ज्ञान मनाने के लिए यहां पर पोस्ट डाले जाते हैं यह एक स्वयं अनुभूत मंत्र है इस मंत्र से प्रचंड रूप में मां काली आप को दर्शन देती है ज्यादा जानकारी के लिए मेरे यूट्यूब चैनल सनी नाथ पर जरूर विजिट करें सब्सक्राइब और बैल आइकन पर क्लिक करें और लाइव चैट में मेरे साथ आप लोग फ्री में बातचीत कर सकते हो अपने प्रश्नों का उत्तर अथवा साधना संबंधित कोई तकलीफ आ रही है दिक्कत आ रही है तो आप पूछ सकते हो बाकी की सारी सर्विस पेड़ है साधना के अनुसार ही मेरा भोग प्रसाद रहता है किसी भी मंत्र का जप करने से पहले आप लोग मेरे से अरदास लगवा कर उस मंत्र का पूर्ण रूप से लाभ उठा सकते हो बिना गुरु के मंत्र तंत्र करना खुद को मुसीबत में डालने वाली बात है यह साधना शनिवार से शुरू कर सकते हो अगर नवरात्रि को करनी है तो आप अष्टमी तक या नवमी तक इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हो नवरात्रि में अखंड ज्योत लहसुन प्याज का त्याग भूमि पर सोना और ब्रह्मचार्य का नियम रुद्राक्ष की माला के ऊपर नीचे दिए गए मंत्र की नित्य 11 से अधिक माला का जाप करना है कुल में जैसे मां चलती है वैसा ही भाग लिया जाता है साधना में तामसिक भोग भी लगाया जाता है लेकिन नवरात्रि में सात्विक भाव भी देना है किसी ने तामसिक भोग नहीं लगाना है संकल्पित साधना करनी है गुरु मंत्र गणेश पूजन सर्व 33 कोटि देवी देवताओं के आगे दुआ फरियाद याद कर कर ही मंत्र सफलता के लिए दुआ करके इसका जाप करना है ज्यादा जानकारी के लिए जब अरदास लगाओगे तो आप लोग विधि विधान मेरे से समझ सकते हो आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा ।

डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड खगर दिखा खप्पर लियां खड़ी कालका तागड़दे मस्तङ्ग तिलक मागरदे मस्तङ्ग चोला जरी का फागड़ दीफू गले फुल-माल जय जय जयन्त जय आदि-शक्ति जय कालका खपर-धनी जय मचकुट छन्दनी देव जय-जय महिरा, जय मरदिनी जय-जय चुण्ड-मुण्ड भण्डासुर-खण्डनी जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी जय निशुम्भ को दलनी जय शिव राजेश्वरी अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी बड़ रवि डर-डरनी ॐ ॐ ॐ।।”

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