आदेश आदेश
*YouTube Channel – Sunny Nath*
*आजतक आपने रती रताई हनुमान चालीसा तो बहुत सुनी और गाई भी होगी पर क्या आप जानते है उसका मतलब??? तो आइए आज मैं आपके लिए हनुमान चालीसा की हर एक पंक्ति का अर्थ लेकर आया हूं।*
*हनुमान चालीसा*
*श्री गुरु चरण सरोज रज,निज मन मुकुर सुधारी बरानऊं रघुवर बिमल जसु,जो दयाकु फल चारि*
अर्थ–मैं अपने मन रूपी दर्पण को गुरु महाराज के चरण कमलों की धूल से पवित्र करता हु और रघुवीर जी के निर्मल यश का वर्णन करता हूं,जो चारों फल (अर्थ,धर्म,काम और मोक्ष) को देने वाला है।
*बुद्धिहीन तनु जानकी,सुमिरो पवन कुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहि,हरहु कलेश विकार*
अर्थ–है पवन पुत्र हनुमान जी ,मैं आपका सुमिरन करता हूं। मेरा शरीर और बुद्धि निर्मल है।आप मुझे शारीरिक बल,सद्बुद्धि और ज्ञान दीजिए व मेरे सारे दोषों और दुखों का निवारण कीजिए।
*सियावर राम जय जय राम,मेरे प्रभु राम जय जय राम*
*जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर*
अर्थ–प्रभु हनुमान जी आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर ! आपकी सदा ही जय जय कार हो। तीनो लोको (स्वर्ग लोक,भूलोक और पताल लोक) में आपको कीर्ति है।
*राम दूत अतुलित बल धामा अंजनी पुत्र पवनसुत नामा*
अर्थ–हे पवनपुत्र अंजनी नंदन! आपके समान कोई दूसरा बलवान नही।
*महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी*
अर्थ–हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप कुबुद्धि को दूर करते है। और आप सद्बुद्धि वाले लोगो का साथ देते हो।
*कंचन बरन विराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा*
अर्थ–आप सुनहरे रंग,सुंदर वस्त्र, कानों में कुंडल और गुंगरालू बालो से सुशोभित है।
*हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे कांधे मूंज जनेऊ साजे*
अर्थ – आपके हाथ में ब्रज और ध्वजा है और कंधे पर मूंज के जनेहू की शोभा है।
*शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन*
अर्थ–हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके बल और यश की पूरे संसार भर में वंदना होती है।
*विद्यावान गुनी अति चतुर राम काज करीबे को आतुर*
अर्थ–आप प्रकांड विद्या निधान है,गुणवान और अत्यंत कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।
*प्रभु चरित सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया*
अर्थ–आप श्री राम चरित सुनने में आनंद रस लेते है। श्री रामजी,सीताजी और लक्ष्मण जी आपके हृदय में वास करते है।
*सूक्ष्म रूप धरि सियाही दिखावा बिकट रुप धरि लंक जरावा*
अर्थ–आपके सीता मैया को आपका रूप बहुत ही ज्यादा छोटा करके दिखलाया था और लंका को बहुत ही बड़ा रूप बना कर जला डाला था।
*भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र जी के काज संवारे*
अर्थ–आपने बहुत ही ज्यादा विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा था और श्री रामचंद्र जी के उपदेशों को सफल कराया ।
*लाय संजीवन लखन जीआए श्री रघुवीर हरषी उर लाये*
अर्थ–आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे,इससे प्रसन्न होकर प्रभु श्री राम ने आपको अपने हृदय से लगा लिया था।
*रघुपति किंही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई*
अर्थ –श्री राम जी ने तब आपकी बहुत ज्यादा प्रशंसा करी और कहा की आप उनके भरत जैसे ही भाई हो।
*सहस बदन तुम्हारो जस गावे अस कहि श्रीपति कंठ लगावे*
अर्थ–श्री राम जी ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की आपका यश हजारों मुखों से भी सराहनीय है।
*सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा नारद सारद सहित अहिसा*
अर्थ –श्री सनक,श्री सनातन,श्री सनंदन,श्री सनतकुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी,सरस्वती माता,शेषनाग की सभी आपका गुण गान करते है।
*यम कुबेर दिगपाल जहां ते कवि कोबिद कहि सके कहां ते*
अर्थ–यमराज जी,कुबेर जी आदि सब दिशाओं के रक्षक,कवि विद्वान,पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णत:
वर्णन नही कर सकते।
*तुम उपकार सुग्रीवही किन्हा राम मिलाए राजपद दीन्हा*
अर्थ–आपने सुग्रीव जी को श्री राम जी से मिलाकर उपकार किया,जिसके कारण वे राजा बने।
*तुम्हारो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भए सब जग जाना*
अर्थ–पूरा संसार जानता है की आपके उपदेशों का विभीषण जी ने भी पालन करा जिसके कारण वह लंका के राजा बने।
*जुग सहस्त्र योजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फल जानू*
अर्थ–जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस तक पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया था।
*प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लांग गए अचरज नाही*
अर्थ–इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आपने श्री राम चंद्र जी की अंगूठी को मुंह में रखकर समुंद्र को लांग लिया।
*दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते*
अर्थ –इस संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम क्यों न हो वह सब भी आपकी कृपा से सहजता से हो जाते है।
*राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे*
अर्थ–आप श्री राम जी के द्वार के रखवाले है,जिसमे आपकी आज्ञा के बिना किसी को भी प्रवेश नहीं मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
*सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना*
अर्थ–जो भी आपकी शरण में आते है, उन सभी को आनंद प्राप्त होता है,और जब आप रक्षक है तो किसी का डर नही रहता।
*आपन तेज सम्हारो आपै तीनो लोक हांक ते कांपे*
अर्थ–आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता,आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।
*भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे*
अर्थ–जहां भी आपके नाम का सुमिरन होता है , वहां पर भूत पिशाच नही फटक सकते।
*नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा*
अर्थ–है प्रभु आपका निरंतर जप करने से सब रोग दूर हो जाते है और सारी पीड़ा मिट जाती है।
*संकट ते हनुमान झुड़ावे मन क्रम बचन ध्यान जो लावे*
अर्थ–है प्रभु! विचार करने में,कर्म करने में और बोलने में जिनका भी ध्यान आप में रहता है,उनको आप सब संकटों से बचाते हो।
*सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा*
अर्थ–तपस्वी राजा श्री रामचंद्र जी सबसे श्रेष्ठ है,
उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
*और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे*
अर्थ–जिस पर आपकी कृपा हो,वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
*चारों जुग परताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा*
अर्थ–चारो युगों (सतयुग,त्रेतायुग,द्वापरयुग,कलयुग) में आपका यश फैला हुआ है,जगत में आपकी कीर्ति सर्वदा प्रकाशमान है।
*साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे*
अर्थ–है प्रभु श्री राम जी के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
*अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता*
अर्थ–आपको माता जानकी ने वर दिया है की आप किसी को भी अष्ट सिद्धियां और नव निधिया प्रदान कर सकते हो।
*राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा*
अर्थ–आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है,जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम ओषधि है।
*तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावे*
अर्थ–आपका भजन करने से श्री राम जी की प्राप्ति होती है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।
*अंत काल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरी भक्त कहाई*
अर्थ–अंत समय में श्री राम जी के धाम को जाते है और यदि फिर जन्म लेगे तब भी भक्ति करके श्री राम भक्त ही कहलाएंगे।
*और देवता चित ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई*
अर्थ–हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है,फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।
*संकट कटे मिटे सब पीरा
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा*
अर्थ–है प्रभु! जो भी आपका सुमिरन करते है उनके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा दूर हो जाती है।
*जय जय जय हनुमान गोसाई कृपा करो गुरुदेव की नाई*
अर्थ–है प्रभु! आपकी जय हो,जय हो,जय हो, आप मुझ पर कृपालु श्री गुरुजी के समान कृपा कीजिए।
*जो सत बार पाठ कर कोई छूटे बंदी महा सुख होई*
अर्थ–को कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जायेगा और उसे परमानंद मिलेगा।
*जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा*
अर्थ–भगवान भोलेनाथ ने यह हनुमान चालीसा लिखवाई,इसलिए वह साक्षी है की को भी इसको पढ़ेगा उसको निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
*तुलसीदास सदा हरी चेरा कीजै नाथ हृदय
महं डेरा*
अर्थ–है प्रभु! तुलसीदास जी सदा ही श्री राम जी के दास है,इसलिए आप उनके हृदय में निवास कीजिए।
*पवन तनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रुप राम लखन सीता सहित ,हृदय बसहु सुर भूप*
अर्थ–है संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलो के स्वरूप हो। है देवराज! आप श्री राम जी,सीता जी और लक्ष्मण जी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।
*सियावर राम जय जय राम,मेरे प्रभु राम जय जय राम*
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