गोरक्ष गोष्ठ अनंत कोटि सिद्धों का जाप
सिद्ध गुरु सिद्ध साई भरमा विष्णु महेश
खेड़ रचाई सिद्ध गोष्ट का करो विचार
न कोई चेला न कोई मान सिद्ध स्वामी
दतात्रे महाराज करे विचार संग गोरक्ष बाला
ऋषि मुनि तपस्वी सब गुरु संग लगा कौने
सिद्ध कोने साई सन्नी नाथ सिमरिया तन
मन पाई सिद्ध गोष का हुआ पचारा गुरु
बैठे संग गोरख बाला योगी जोगी भगवा
बाना रिद्धि सिद्धि के स्वामी दतात्रेया महाराजा
करो कल्याण जन का मेला सिद्धों करो
उपचार गोरख योगी कहे गुरु दतात्रे महाराज
सब कुछ मोह मन की माया तपे धुना योगी
की माया अलख पुरष ने योग रचाया सिद्ध
योगी योगेश्वर कहलाया कौन गुरु कौन चेला
चारो ओर नाथो के डेरा कोई न जाने जन का
भेद अप्पे ही करता अप्पे ही देव सरवगुनी
सवरसंपन चिमटा फाड़ोदी कमंडल कन्नन
कुडल का योगी का भेद यह सुन हुआ जगत
परासा गोरक्ष गोष्ठ का जाप पूरा पाना
सतनाम आदेश गुरु जी को ।
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