गुरु गोरखनाथ जी का गुप्त शाबर मंत्र
सतनमो आदेश गुरु जी को आदेश आदेश
धन धन बाबा गुरु गोरखनाथ चलो बाबा
गुर्रा मछिन्द्र दी आन सर पर पगड़ी बैठे
बाबा धुनें पर करे शिवा डा जाप एक हाथ
त्रिशूल झोली डमरू **************
गुरु गोरखनाथ तेरा नाम सद्गुरु बाबा
मछिन्द्र दा चेला अंग भूभती भस्मधार
बैठा बाबा मुंड मैदान लगी चौकी बाबे
गोरखनाथ तेरे नाम तू वलिया दा वली
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मेरी शान रखो मेरी न कला इल्म जा चिटा
इल्म चले जितने जितने************
दा नाम ९ नाथ ८४ सिद्ध महाराज चलन
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श्री चंद्र जी दा दूत बाबा हनुमंत लगे
पेहरा ४ दिशववा विचे बजे गोरख दा डंका
भैरो करदा चाकरी***************
कुल जहान न घोरी दी चले न काली
दी न बंगाल दी चले न बाल्मीकि दी
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न ८४ सीधा दी चले न गुरु पीरा दी
चले, न ६४ योगिनी चले, न वीर चले
न कलुवा चले , न मसान चले, न मदानण
चले न मसानी चले,न ५ बाबरी चले,न
हुक्के वाले चलन,विच मैदान तेरा नाम ।
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परी यक्षणी हमज़द जिन ,न भैरो खावे
मढ़ी मसानी,अघोरी बैरी न काली खावे
जो जो बैरी मेरा मित बना जेड़ा मेरे
ते इल्म चलावे******************
दे धुनें विच पा चिमटे बजा,३३ कोटि देवता
तेरे आगे चले न किसी दा बार गोरक्ष गोरक्ष
दा जाप मैं लाया सनी ने गोरक्ष दा धुना तपाया
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दा पेहरा लाया,पा पा आहुतिया मैं गोरक्ष
नु अपने मन च बैठ्या जय गुरु गोरखनाथ
तेरे चिमटे ते धुनें तेरे डमरू तेरे बाणे ते
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तू खेले कुल जहान अलख आदेश सद्गुरु
महाराज रखो अपने भागता दी लाज
३३ कोटि देवता ८४ लाख युनि 16 कला
सम्पूर्ण सिद्ध सुनन *************
रुके तेरे धुनें दे नाम अलख आदेश अलख आदेश
अलख आदेश जय जय गुरु गोरखनाथ !
सनी नाथ !
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