गुरु गोरखनाथ जी का मुद्रा प्रयोग ऐसा प्रयोग जो 33 कोटि देवी देवताओं को भूत प्रेत मड़ी मसान को बांध लेता है GURU GORAKHNATH JI KA MUNDRA PARYOG

 
गुरु गोरखनाथ जी का गुप्त शाबर मंत्र 
 
आज तक इंटरनेट पर  जा किसी गुरु के मुख आपको नहीं मिलना है क्युकी यह मंत्र ४०० साल से जयादा पुराण है गुरु हुकुम से मिलती है ऐसी चीज़ नेट पर ऐसे खुले आम यह नहीं दिया जा सकता है क्युकी दुनिया दूर पय्रोग करती है आदेश आदेश इस मंत्र का प्रयोग गुरु से समझकर ही करना है क्योंकि कुछ मंत्र ऐसे होते हैं जो गुरुमुखी होते हैं जो गुप्त ज्ञान होता है तो यह एक गुप्त मंत्र है यह मंत्र की शब्द आपको किसी इंटरनेट किसी किताब या किसी सोशल साइट पर नहीं मिलेंगे यह मेरा दावा है मेरी ही वेबसाइट पर और मेरे ही यूट्यूब चैनल सनी नाथ पर मिल सकता है ज्यादा जानकारी के लिए मेरे युटुब चैनल सनी नाथ पर जरूर विजिट करें चैनल को सब्सक्राइब करें लाइक इन पर क्लिक कर जरूर करें ताकि जब भी मैं लाइव आऊंगा मेरे साथ फ्री अपने प्रश्न उत्तर और बातचीत कर सके साधना में आ रही दिक्कतों का आप सलूशन और उत्तर फ्री में पा सके बाकी की जानकारी मेरी वेबसाइट और मेरे यूट्यूब पर मिल जाएगी आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा ।

सतनमो आदेश गुरु जी को आदेश आदेश 
धन धन बाबा गुरु गोरखनाथ चलो बाबा 
गुर्रा मछिन्द्र दी आन सर पर पगड़ी बैठे 
बाबा धुनें पर करे शिवा डा जाप एक हाथ 
त्रिशूल झोली डमरू **************
गुरु गोरखनाथ तेरा नाम सद्गुरु बाबा 
मछिन्द्र दा चेला अंग भूभती भस्मधार 
बैठा बाबा मुंड मैदान लगी चौकी बाबे
गोरखनाथ तेरे नाम तू वलिया दा वली
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मेरी शान रखो मेरी कला इल्म जा चिटा 
इल्म चले जितने जितने************ 
दा नाम नाथ ८४ सिद्ध महाराज चलन 
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श्री चंद्र जी दा दूत बाबा हनुमंत  लगे 
पेहरा दिशववा विचे बजे गोरख दा डंका 
भैरो करदा चाकरी***************
कुल जहान घोरी दी चले काली 
दी बंगाल दी चले बाल्मीकि दी 
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८४ सीधा दी चले गुरु पीरा दी 
चले, ६४ योगिनी चले, वीर चले 
कलुवा चले , मसान चले, मदानण 
चले मसानी चले, बाबरी चले, 
हुक्के वाले चलन,विच मैदान तेरा नाम
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परी यक्षणी हमज़द जिन , भैरो खावे 
मढ़ी मसानी,अघोरी बैरी काली खावे 
जो जो बैरी मेरा मित बना जेड़ा  मेरे 
ते इल्म चलावे******************
दे धुनें विच पा चिमटे बजा,३३ कोटि देवता 
तेरे आगे चले किसी दा बार गोरक्ष गोरक्ष 
दा जाप मैं लाया सनी ने गोरक्ष दा धुना तपाया 
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दा पेहरा लाया,पा पा आहुतिया मैं गोरक्ष 
नु अपने मन बैठ्या जय गुरु गोरखनाथ 
तेरे चिमटे ते धुनें तेरे डमरू तेरे बाणे ते 
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तू खेले कुल जहान अलख आदेश सद्गुरु 
महाराज रखो अपने भागता दी लाज 
३३ कोटि देवता ८४ लाख युनि 16 कला 
सम्पूर्ण सिद्ध सुनन ************* 
रुके तेरे धुनें दे नाम अलख आदेश अलख आदेश 
अलख आदेश जय जय गुरु गोरखनाथ
सनी नाथ
 
कुछ प्रयोग ऐसे होते हैं जो प्रचंड प्रयोग होते हैं उनमें से एक यह मंत्र है इस मंत्र का जाप करने से कोई भी तांत्रिक कोई भी सेवड़ा चाहे कोई जाती है चाहे कोई यति सती है जितना मर्जी बड़ा भक्त हो इस मंत्र के जप के आगे वह हाथ जोड़ जाता है क्योंकि इस मंत्र में स्वयं सदगुरु महाराज गुरु गोरखनाथ जी की विद्या चलती है यह एक गुप्त ज्ञान है कुछ चीजें गुरु सम्मुख बैठकर ही मिलती हैं कुछ चीजों का ज्ञान आपको नेट अथवा किताबों से मिल जाता है गुरु जब आपको कोई विधान अथवा किसी मंत्र या किसी क्रिया को बताते हैं तो आपका फर्ज बनता है उसकी रिया को पूर्ण रूप से दिए गए निम्यो के आधार पर ही उन मंत्रों का प्रयोग करना होता है ।


 

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