माई धूतनी की साधना ( MAI DHUTNI KI SIDDHI KAISE SIDDH KARTE HAI MAI DHUNTI PATRHIWALI MATA KO )

माई धूतनी की साधना 

इनकी साधना एक विशेष पद्धति से की जाती है वही कुलदेवी के रूप में भी इनकी साधना की जाती है  कहते हैं जिनके कुल में यह चलती हैं अगर वह लोग इन्हें पूज लेते हैं तो फिर उनके पास किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है हर प्रकार की मनोकामना पूरी हो जाती है लेकिन यही समस्या भी है कि अगर इनकी पूजा ना की जाए तो अप्रसन्न होकर वह कुल का नाश भी कर देती हैं इसी कारण से जल्दी इनकी साधना करने को लोग तैयार नहीं होते

यह देवी साक्षात होकर किसी भी अपने भक्तों के काम और मनोरथ को पूरा करती हैं

इनके कई सारे मंत्र दिए गए हैं और उनमें से एक सिद्ध मंत्र को आज मैं आप लोगों के समक्ष रखने जा रहा हूं इनकी साधना किस प्रकार से की जाती है  इसके विषय में जान लेते हैं किसी भी महीने में जब कृष्ण पक्ष आए जिसको हम अंधियारा पक्ष भी कहते हैं शुक्ल पक्ष के बाद में यह आता है  हर महीने में दो पक्षों से एक शुक्ल पक्ष होता है और एक कृष्ण पक्ष होता है यह आपको किसी भी कैलेंडर में देखने को मिल जाएगा तो उसके- पहले बुधवार को आपको यह साधना शुरू करनी है यहां पर जो साधना में दे रहा हूं वह साधारण विधि की है इस साधना को करने के लिए आप जहां पर माता का स्थान बना हुआ हो चाहे वह किसी एकांत कमरे में बनाया गया हो या फिर किसी मंदिर के माध्यम से विशेष जगह पर आपको इनका यह अनुष्ठान करना होता है इस साधना के लिए साधक को पूर्व की दिशा की ओर मुंह करके अपना अनुष्ठान प्रारंभ करना चाहिए इस साधना में काले कंबल के आसन का प्रयोग और काले ही रंग के वस्त्रों को आपको धारण करना होता है आप सबसे पहले अपने सामने एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं और साथ ही सुगंधित धूप का भी प्रयोग करें

देवी के सामने भोग के लिए एक अखबार के ऊपर 

एक जोड़ी बूंदी के लड्डू एक जोड़ा खम्मनि(ढोकला)

एक जोड़ा सुपारी एक नारियल वाला काली चुनरी लपेट कर रखा जो नारियल होता है वह एवं 5 बताशे- काजल का टीका लगा करके रखना है 5 लॉन्ग  पांच छोटी इलायची यह सब आपको उनके सामने रख लेना है  फिर रुद्राक्ष की माला से 11 माला मंत्र जाप करना है जाप के बाद आपको एक जोड़ा लड्डू बूंदी खाली मैदान में आपको रख आपको जाना है और इससे जो आपने सामग्री सामने रख कर पूजा की थी पूजा के बाद में एक जोड़ा दो लड्डू वह किसी खाली मैदान में जहां कोई आपको ना देख रहा हो रख कर वापस लौट आना है और सो जाना है इस मंत्र से हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों की काट भी होती है इस को सिद्ध करने के लिए 21 दिन की विधि  छोटे तौर पर अपना सकते हैं वैसे 42 दिन की विधि अपनाई जाती है इस साधना में आपको प्रातः काल मसानी माता के स्थान पर जाना है और वहां उनको दो बतासे डालकर कच्ची लस्सी से उनका स्नान करवाना है इन्हीं माता की जो मूर्ति होगी उसी को आपने इस प्रकार से पवित्र करना है उसके बाद जिनको माताजी से कोई मनोकामना मांगनी है  उन्हें नारियल पर चुनरी लाल रंग की माता को चढ़ानी है अगर आपको उनके दर्शन या सिद्धि या ऐसे कोई कार्य करने हैं तो नारियल पर काले रंग की चुनरी माता को चढ़ानी होती है

बतासे लड्डू बर्फी लोंग  इलाइची  फूल धूप नारियल दीप कलावा सभी सामान माता को चढ़ाने के बाद वहां पर आपको पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाना होता है 

आसन लगाकर वहां पर  यानी जिस स्थान पर माता स्थापित है सुबह माता को कच्ची मीठी लस्सी से स्नान करवाना है फिर 2 घंटे कम से कम जाप किया जाता है जैसा कि मैंने बताया है कि यह लगभग 11 माल आपको जाप करना है। इसमें आपको कितना समय लगेगा यह आपके जाप पर निर्भर करता है फिर रात को जाकर के वहां सरसों के तेल का दीपक जला कर के आपको फिर इस मंत्र का अनुष्ठान जाप शुरू करना है यह चमत्कारिक मंत्र होता है और इस मंत्र के जाप से देवी प्रसन्न हो जाती है यह देवी प्रसन्न होकर आपकी सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण कर सकती हैं

यह आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों में सिद्ध होती हैं देवी की प्रत्यक्षीकरण होने पर मां रूप में आप इन से अपना संबंध स्थापित करेंगे और जो भी इच्छा होगी वह बताए गये विधि के अनुसार आपको करनी होगी इससे देवी आपकी इच्छा को पूरी करने के लिए तक्षण कार्य को कर डालती हैं इनकी साधना में सावधानी की आवश्यकता होती है यह साधना करने से पहले गुरु मंत्र की सिद्धि होना जरूरी है ताकि आपको कोई समस्या ना आए और ना ही कोई अनिष्ट हो इसके अलावा किसी योग्य गुरु के सानिध्य में इस साधना को करना चाहिए ताकि कोई समस्या होने पर या पूजा-पाठ में गलती होने पर आपको कोई दंड ना मिले

देवी तीव्रता से कार्य करती हैं और तत्क्षण आपके कार्य कर डालती हैं


इस मंत्र के लिए

माई मशानी कल्लर वसदी नागे गुरु धियावे  जदों बुलवां जिथे मन्ना झट्ट हाजर हो जावे भूत को बेताल को कलवे को प्रेत को जिन्न को ख़बीस को मडी को  मसाण को घोरी को कचील को छड्डी को  छुड़ाई को भेजी को लगाई को मोहनी को माया कोछाया को छलेडे को यन्त्र को मन्त्र को ढाईये को सिफ़ली को काले को  खाखी को बादी कोआबी को आतिश को किये को कराए को पढ़े को लिखाय   को काट-काटके मैली माता के हाथ में देकर कील ना लगाव  तो गुरु घाती कहाये लूना चमारी के कुंड में चार जुग सड़े दुहाई धर्म दे राजे रामचन्द्र दी दुहाई नगर खेड़े दी दुहाई  लक्ष्मण ते गोरख यति द

इसकी सिद्धि भी कर सकते हैं एक शक्तिशाली मसानी हैं और बहुत ही तीव्रता के साथ कार्य करती हैं साधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य स्वयं द्वारा निर्मित भोजन ही खाना और भोजन में काले तिलों का इस्तेमाल अवश्य करें जहां तक हो सके केवल एक समय ही भोजन करें जिस स्थान पर आप साधना करते हैं उसी के पास रात को सो जाएं ताकि स्वप्न के माध्यम से देवी के संकेत आपको प्राप्त हो सके !



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