ईश्वर सत्य है सत्य ही 'शिव 'है। शिव ही सुंदर है। ISHWAR SATYA HAI

ईश्वर सत्य है सत्य ही 'शिव 'है। शिव ही सुंदर है।
ध्यान और साधना के लिए हम रुद्राक्ष का प्रयोग सदियों से करते आ रहे हैं। हमारे ऋषि मुनि न केवल मंत्र जाप बल्कि मोक्ष पाने के लिए भी रुद्राक्ष धारण करते थे ।
क्योंकि वह इसे बहुत ही पवित्र मानते थे आज भी इसके साथ सही धारणा जुड़ी हुई है।
भगवान शिव जी इसे धारण करते थे अब प्रश्न यह उठता है कि न केवल देवता और ऋषि मुनि बल्कि आम आदमी भी इसे धारण किए हैं।
शिव के नेत्र रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है-- रुद्र और अक्ष
भगवान शिव को रुद्र भी कहा जाता है। और अक्ष को अर्थ है नेत्र
इसलिए रुद्राक्ष का अर्थ होता है-- शिव के नेत्र
एक कथा के अनुसार शिव ने सैकड़ों वर्ष तक साधना की साधना पूरी होने के बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोली तो उनके आंसुओं की धारा निकल पड़ी।
यह दिव्या अश्रु बूंद जहां-जहां गिरे उनसे अंकुर फूट पड़ा
बाद में यही रुद्राक्ष के पेड़ बन गए रुद्राक्ष के संबंध में एक और कथा प्रचलित है।
उसके अनुसार एक बार दक्ष प्रजापति के यज्ञ का आयोजन किया हवन करते समय उन्होंने शिव का अपमान कर दिया इस पर क्रोधित होकर शिव की पत्नी सती ने खुद को अग्निकुंड में समर्पित कर लिया।
सती का जला शरीर देखकर शिव अत्यंत क्रोधित हो गए
उन्होंने सती का पार्थिक शरीर अपने कंधे पर टांगलिया और पूरे ब्रह्मांड को भस्म कर देने के  उद्देश्य से तांडव नृत्य करने लगे ।
सती का जला शरीर धीरे-धीरे पूरे ब्रह्मांड में बिखर गया अंत में सिर्फ उनके देह का भस्म ही शिव के शरीर पर रह गया
जिसे देखकर वह फूट-फूटकर रो पड़े कहते हैं उस समय जो आंसू उनकी आंखों से गिरे वही पृथ्वी पर रुद्राक्ष के वृक्ष बने।
रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है. मान्यता है कि यह दिव्य बीज या फिर कहें दिव्य रत्न भगवान शिव के आसुओं से बना है.
विभिन्न प्रकार के रत्नों में रुद्राक्ष का अपना एक अलग महत्व है. भले ही यह तमाम तरह के रत्नों की तरह चमकीला न हो लेकिन इसका प्रभाव चमत्कारिक है क्योंकि यह भगवान शंकर को बहुत प्रिय है.
यही कारण है कि दुनिया भर के शिव भक्त हमेशा इसे किसी न किसी रूप में इसे धारण किये रहते हैं.
विभिन्न प्रकार और आकार का मिलने वाला रुद्राक्ष कई मुखी का होता है.
प्रत्येक मुखी रुद्राक्ष अपने भीतर तमाम तरह के गुण और विशेषताएं लिये होता है. रुद्र की कृपा दिलाने वाला यह रुद्राक्ष व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है.
जो व्यक्ति रुद्राक्ष की माला से शिव की साधना करता है, उसे अनंत फलों की प्राप्ति होती है.
रुद्राक्ष का जो बीज आकार में एक समान, चिकना, पक्का ताथा कांटो वाला होता है, उसे शुभ माना गया है. वहीं कीड़े लगे, टूटे–फूटे, बिना कांटों के छिद्रयुक्त तथा बिना जुड़े हुए रुद्राक्ष को अशुभ माना गया है. ऐसे रुद्राक्ष को भूलकर भी नहीं धारण करना चाहिए.
रुद्राक्ष धारण करने के लिए श्रावण मास अति उत्तम है.
सावन के महीने में आप चाहें तो किसी भी दिन या फिर विशेष रूप से सोमवार के दिन इसे विधि–विधान से पूजा करके धारण कर सकते हैं.
रुद्राक्ष को हमेशा लाल, पीला या सफेद धागे में ही धारण करना चाहिए.
रुद्राक्ष को भूलकर भी काले धागे में धारण न करें.  रुद्राक्ष को चाँदी, सोना या तांबे में भी जड़वाकर हाथ, बाजु या फिर गले में धारण किया जा सकता है.
रुद्राक्ष की माला चाहे पहनने वाली हो या फिर जप करने वाली, उसे दूसरे व्यक्ति को प्रयोग करने के लिए नहीं देना चाहिए.
पहाड़ी क्षेत्रों में मिलने वाला रूद्राक्ष सिर्फ एक औषधि नहीं यह एक रत्न भी है। रूद्राक्ष भगवान शंकर का प्रसाद भी है और आशीर्वाद भी है, इसलिए आपने संत, महात्माओं के गले में एक नहीं चार-चार रूद्राक्ष की मालाओं को पहने देखा होगा।
रूद्राक्ष हर समस्या का समाधान है बर्शेते आपको पता होना चाहिए कि कौन से मुखी रूद्राक्ष को किसे धारण करना चाहिए...
नोट -- मेरे द्वारा  सावन में और शिवरात्रि पर विशेष रुप से रुद्राक्ष सिद्ध किए जाते हैं।
जब रुद्राक्ष सिद्ध के होते हैं तो उसमें कोई नियम कोई परहेज की कोई जरूरत नहीं होती है बहुत लोगों ने धारण किए हुए हैं। उन लोगों को काफी फायदा हुआ है सबसे अच्छा रुद्राक्ष धारण करने से मन की शांति बहुत मिलती है यह प्रत्यक्ष मैंने भी देखा है।
अगर आप लोगों को अपने लिए रुद्राक्ष सिद्ध कराने हैं या मंगवाने हैं सिद्ध किया हुआ तो आप मेरे से संपर्क कर सकते हैं ।अपने लिए सावन के महीने में अपनी राशि के अनुसार रुद्राक्ष मंगवा सकते हैं।

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