सनातन विधा से चलें, शनि कोई देव नही मात्र एक ग्रह हैलोग शनि को भगवान और देव का दर्ज़ा दे रहे हैं जो की गलत है, शनि केवल एक ग्रह है जिसकी दशा चलती है

सनातन विधा से चलें, शनि कोई देव नही मात्र एक ग्रह है
लोग शनि को भगवान और देव का दर्ज़ा दे रहे हैं जो की गलत है, शनि केवल एक ग्रह है जिसकी दशा चलती है कुंडली में। सनातन धर्म के किसी भी ग्रंथ में शनि मंदिर का कोई प्रावधान नहीं है पर आज कल लोग मनमाना आचरण कर रहे है।
हम किसी की भी उपासना तब करते हैं जब हमको उसकी कृपा चाहिए हो, अगर आज कोई महादेव या श्री कृष्ण या दुर्गा माता की पूजा करता है तो उसको उनकी कृपा मिलती है साथ ही साथ उनका नैकट्य भी, यानी की वो शक्ति साथ में रह कर अपना प्रभाव डालती है।
अब शनि को भगवान बोलने वाले लोग ध्यान दे:
जब भी कोई वैदिक मंत्र का जप किया जाता है तब हरि और प्राणवक्षर से शुरू होता है। यानी की सच्चिदानंद स्वरुप भगवान के नाम से। अगर शनि कोई भगवान होते तो उनके नाम से शुरू होता।

शनि की पूजा केवल और केवल नव ग्रह के साथ होनी चाहिए, अलग से नही। नव ग्रह पूजन का विधान एक साथ ही बतलाया गया है, अलग अलग से नही। सिर्फ सूर्य देव जो साक्षात श्री नारायण हैं उनका और चंद्र देव की आराधना का विशेष फल है, सूर्य नारायण साक्षात नारायण हैं और चंद्र देव को महाशिव ने अपनी जटाओं में स्थान दिया था।

इंटरनेट पर कुछ ऐसी विडियोज भी हैं जिसमे शनि की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करी जा रही है तो शीशा ही टूट जाता है, तो अगर शीशे के साथ ऐसा हो रहा है तो अगर उसकी नजर सीधा आप पर पड़ेगी तो क्या होगा?

जिसको भी कुंडली या ग्रह दशा से बहुत डर लगता है उनके लिए एक शास्त्रीय उपाय है की वे 12 करोड़ भगवन नाम का जप करलें, जैसे चाहे कुंडली बदल जायेगी। सब ग्रह अनुकूल हो जायेंगे। साक्षात भगवान के दर्शन भी हो सकते हैं। सिद्धी मिलने का भी चांस होता है।

शनि मंदिर बनाने की जगह श्री भगवान का मंदिर बनाए और भगवान की पूजा करें, अधर्म करके आप सनातन संस्कृति का अपमान न करें !



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