श्री भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसिलिए जन्माष्टमी के मध्य रात्रि के समय की जाने वाली पूजा का सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जो की रात के 12:00 बजे कर 3 मिनट से 12:47 बजे तक रहेगा जाने की कुल 44 मिनट का समय है जो की श्री कृष्ण के भक्तों के लिए सबसे खास है इस समय लड्डू गोपाल और छोटे कान्हा जी का सोलह सिंगार करके उनकी विधिवत पूजा करे 18 अगस्त को रात में 9:00 मिनट से अष्टमी तिथि लगेगी और 19
अगस्त को सुबह से ही अष्टमी तिथि रहेगी ओर 19 अगस्त को रात को 10 बजे से 59 मिनट पर अष्टमी खतम हो जाएगी। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की अराधना करें मूर्ति स्थापना के बाद उनका गौ के दूध और गंगा जल से अभिषेक करें उन्हें मनमोहक बस्तर पहनाए ,मोर मुकुट ,बंसुरी,चंदन ,बैजंती माला ,तुलसी दल से उन सुसजित करें फूल, फल ,माखन, मिश्री, मिठाई ,धूप,दीप, गंध आदी भी अर्पित करे फिर बाल श्री कृष्ण जी की आरती उतारे पुरी रात जागरन करे, अगले दिन अन जल गृहन करें
जय गुरु गोरखनाथ चेतावनी:-इस लेख में वर्णित नियम ,सूत्र,व्याख्याए,तथ्य स्वयंके अभ्यास-अनुभव के आधार पर एवं गुरू-साधु-संतों के कथन,ज्योतिष-वास्तु-वैदिक-तांत्रिक-आध्यात्मिक-साबरी ग्रंथो,मान्यताओं और जानकारियों के आधार पर मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।हम इनकी पुष्टी नही करते,अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे। ©कॉपी राइट एक्ट 1957) सनी नाथ शर्मा ! WHATSAAP:-+91-9891595270 youtube channel :- SUNNY NATH & 9 NATH 84 SIDH
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