माँ गौरी जी की यह सतुति रामचरितमानस मे वर्णित है जो माता सीता जी ने श्री राम जी को अपने पति रूप में पाने के लिए माँ गौरी जी से की थी।


       🌺माँ गौरी सतुति🌺

जय जय गिरराज किशोरी।
जय महेश मुख चंद चकोरी।।
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता।।
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के।।
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
 अस कहि चरन वैदेहीं।।
विनय प्रेम बस भई भवानी।
खासी माल मूर्ति मुस्कानि।।
सादर सिय प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हिय भरेऊ।।
सुनु सियं सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
नारद बचन सदा सुचि साचा।
सो बरू मिलिह जाहिं मनु राचा।।
मनु जाहिं राचउ मिलिह सो बरू सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।
एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।।

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