कृष्ण जन्माष्टमी अचूक योगमाया सिद्धी :
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात्रि को कृष्ण जन्म से पूर्व देवी योगमाया कंस के कारागार में देवकी और वसुदेव के तेज से प्रकट हुई थीं, तब उनका नाम योगमाया आर्टिकल बाय सन्नी नाथ शर्मा जी हुआ। लीला के बाद वे विंध्यांचल पर्वत पर विराजमान हुईं तब उनका नाम विंध्यवासिनी देवी पड़ा था।
इन महादेवी की साधना बहुत प्रचंड है, इनकी कृपा से जो भक्त चलता है उसको कभी असफलता नहीं मिलती। साक्षात श्री देवी, महाकाली और महासरस्वती स्वरूप आर्टिकल बाय सन्नीनाथ शर्मा जी में विद्यमान मां विंध्यवासिनी भक्तो का कल्याण करती है।
विशेष मंत्र : सब देवी स्वरूप एक मंत्र जो दुर्गा सप्तशती का सार है उस मंत्र के जाप से अति शीघ्र प्रसन्न होती है।
अगर बड़ा मंत्र आर्टिकल बाय सन्नी नाथ शर्मा जी चाहते हैं तो नवार्ण मंत्र का ही एक्सटेंशन है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, जो यदा कदा किसी के लिए जागृत हो जाए तो उस साधक के लिए तंत्र तो फूक जितने से ही काम करने लग जाए, उसका स्वांस स्वांस मंत्र, रोम रोम ग्रंथ हो जाए।
देवी साधना अति कठोर है, आर्टिकल बाय सन्नीनाथ शर्मा जी मां रूप में इनकी आराधना बहुत सरल है।
हवन सामग्री :
गुरुमुखी विद्या अनुसार ही हवन करना करवाना चाहिए, ये मंत्र तंत्र का फील्ड एटम बॉम्ब से भी खतरनाक है। यद्यपि साधारण आदिक्षित व्यक्ति देसी गौ माता के गोबर के कंडे पर हवन सामग्री से देवता के नाम से आहुति दे सकते है और जो गुरु मंत्र से दीक्षित हैं वो गुरु पद्धति से ही चलें।

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