दशहरे पर गुरु मंत्र सिद्धि की विधि
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शुद्धि और संकल्प
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दशहरे के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थान पर दीपक जलाकर ईष्ट व गुरु का ध्यान करें।
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संकल्प लें कि आप अमुक गुरु मंत्र को दशहरे के दिन से निश्चित संख्या में जपकर सिद्ध करेंगे।
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गुरु पूजन
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गुरु की तस्वीर या मूर्ति को सामने रखकर फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
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हाथ जोड़कर गुरु का आशीर्वाद लें।
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मंत्र जप प्रारंभ
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गुरु द्वारा दिया गया गुरु मंत्र ही सर्वोत्तम है, पर यदि न मिला हो तो गुरु गोरखनाथ या अपने ईष्ट का गुरु मंत्र लिया जा सकता है।
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दशहरे के दिन से शुरू करके कम से कम 108, 1008 या 1.25 लाख जप की साधना करने का नियम बनाएं।
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जप के लिए रुद्राक्ष, चंद्र, तुलसी या क्रिस्टल की माला का प्रयोग करें।
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विशेष विधि
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मंत्र जप हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें।
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दशहरे के दिन अगर आप मंत्र की 11, 21 या 108 माला जप लेते हैं तो यह मंत्र की सिद्धि का प्रारंभ हो जाता है।
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जप के समय दीपक, घी या तिल के तेल का जलता रहे।
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नैवेद्य और भोग
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साधना पूर्ण होने पर गुरु को प्रसाद अर्पित करें।
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गुरुदेव को नमन कर प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और परिवार को भी दें।
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मंत्र सिद्धि के लक्षण
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जब जप के दौरान मन एकाग्र होने लगे, स्वप्न में गुरु का आशीर्वाद दिखे या साधना में विशेष शक्ति का अनुभव हो, तो समझिए कि मंत्र सिद्धि के मार्ग पर है।
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👉 दशहरे से शुरू किया गया गुरु मंत्र जप, साधक को आध्यात्मिक उन्नति, भय से मुक्ति और सफलता का वरदान देता है।

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