नवरात्रि के दौरान कलश की स्थापना (कलश पूजन) एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है। इसे इस प्रकार किया जाता है:



1. स्थान का चयन:

घर के एक पवित्र और साफ स्थान का चयन करें, जैसे पूजा घर या मुख्य द्वार का क्षेत्र।



2. सफाई:

चुने हुए स्थान को अच्छी तरह से साफ करें और पवित्रता बनाए रखें।



3. पंडित का आमंत्रण (यदि आवश्यक हो):

यदि आप पंडित को आमंत्रित कर रहे हैं, तो उन्हें पहले से बुला लें।



4. कलश की तैयारी:

एक नई और साफ मिट्टी या स्टील का कलश लें।

कलश के अंदर थोड़ी मात्रा में चावल भरें।

कलश के अंदर एक सुपारी (पान के पत्ते) और कुछ सिक्के डालें।



5. कलश में जल भरना:

कलश को ताजे जल से भरें।

पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाना भी शुभ माना जाता है।



6. कलश की सजावट:

कलश के मुंह पर ताजे पत्ते (पान के पत्ते या आम के पत्ते) लगाएं।

उसके ऊपर एक लाल या पीले रंग का कपड़ा बांधें।

कपड़े को गांठ से बांधें और कलश के शीर्ष पर रखे।



7. कलश की स्थापना:

कलश को सजाए गए स्थान पर रखें।

कलश के चारों ओर हल्दी, कुमकुम और फूल चढ़ाएं।



8. पूजा विधि:

कलश के सामने दीपक जलाएं।

गंगाजल छिड़कें और कलश की पूजा करें।

मंत्रोच्चार के साथ पूजा करें, जैसे "ॐ Varunaaya Namah" या "ॐ Ganapataye Namah"।

पुष्प, चढ़ावा, और नैवेद्य अर्पित करें।



9. पूजा के अंत में:

पूजा समाप्त होने के बाद घर के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।

भक्तिपूर्वक हवन या अग्निहोत्र भी कर सकते हैं।




इस विधि को सही तरीके से पालन करने से न केवल नवरात्रि का आयोजन शुभ होता है, बल्कि धार्मिक उत्साह और सौभाग्य भी बढ़ता है।


No comments:

Post a Comment