पितरों की पूजा को पितृ पूजन या श्राद्ध कहा जाता है, और यह हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा के सम्मान और तर्पण के लिए किया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान की जाती है, लेकिन इसे अन्य दिनों में भी किया जा सकता है। पितरों को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यह पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यहां पितरों के पूजन की एक सामान्य विधि बताई जा रही है:
### सामग्री:
- तांबे या पीतल का कलश
- जल, दूध, शहद, घी, और गंगाजल
- काला तिल
- जनेऊ
- धूप, दीपक और अगरबत्ती
- चंदन, रोली, और अक्षत (चावल)
- जौ और तिल का मिश्रण
- मौसमी फल
- पितरों का प्रिय भोजन, मिठाई, खीर, या अन्य पकवान
- कुशा (दर्भ घास)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण)
- तुलसी के पत्ते
### पितृ पूजन विधि:
1. **स्नान और शुद्धिकरण**: सबसे पहले, स्नान करके शुद्ध हो जाएं। पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक चौकी या पटरे पर सफेद कपड़ा बिछाएं।
2. **पंचामृत से स्नान**: कलश में पंचामृत और जल मिलाकर रखें। एक छोटा सा तांबे का लोटा भी साथ रखें। इस जल से पूर्वजों को मानसिक रूप से स्नान कराने का संकल्प लें।
3. **पितरों का आवाहन**: पितरों का आवाहन करते समय कुशा पर बैठकर, चावल और जल के साथ पितरों का ध्यान करें। यह भावना रखें कि आपके पितर यहां उपस्थित हैं और आप उनकी सेवा कर रहे हैं।
4. **तर्पण**:
- तांबे के लोटे में जल और काला तिल लेकर तर्पण करें। तर्पण करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
- "ॐ पितृभ्य: स्वधा नमः।"
- तर्पण की प्रक्रिया कम से कम तीन बार करें, और तर्पण देते समय जल को हाथ से दक्षिण दिशा में छोड़ें।
5. **धूप-दीप और भोग**:
- धूप, दीपक और अगरबत्ती जलाकर पितरों को अर्पित करें। फिर पितरों को उनके प्रिय भोजन का भोग लगाएं। भोजन में खीर, फल, और पकवान शामिल करें।
- भोग के बाद, प्रार्थना करें कि पितर आपके परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखें और घर में सुख-शांति हो।
6. **प्रसाद वितरण**: अंत में भोग का प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों में वितरित करें। यह माना जाता है कि पितर इस भोग को स्वीकार करके प्रसन्न होते हैं।
7. **विशेष प्रार्थना**:
- पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें। निम्नलिखित श्लोक का उच्चारण करें:
- "ॐ सर्वे पितरः सुखिनः सन्तु, सर्वे पितरः पूर्णानि सन्तु, सर्वे पितरः मुक्तिमाप्नुवन्तु।"
### कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- श्राद्ध का कार्य सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के तुरंत बाद करना शुभ माना जाता है।
- पितरों को प्रसन्न करने के लिए विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
- यदि आप विधिवत श्राद्ध नहीं कर सकते हैं, तो गंगा में तिल और जल अर्पित करके भी पितरों का तर्पण किया जा सकता है।
पितरों की पूजा से परिवार में शांति, समृद्धि, और खुशहाली आती है।
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