"योनि तन्त्र" एक प्राचीन तंत्र शास्त्र की शाखा है जो मुख्य रूप से महिलाओं के सम्बन्धों, स्त्री का स्वास्थ्य, सुख, और समृद्धि के लिए होने वाले विधानों और तकनीकों पर आधारित है। यह शास्त्र सम्पूर्णतः वैदिक अनुसार होता है और संसार की सभी स्त्रियों के लिए सुझाव और नियमों का संग्रह प्रदान करता है।
योनि तंत्र का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित और सुखमय बनाना है। इसके अंतर्गत, स्त्रियों को अपने योनि के साथ उपचार, ध्यान, और उनकी सेवा की विशेषता के लिए विभिन्न तकनीकों का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्राणायाम, आसन, मंत्र, मुद्रा, और ध्यान की तकनीकें शामिल होती हैं जो महिलाओं के योनि के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करती हैं।
योनि तंत्र का सिद्ध होना आमतौर पर गुरु के निर्देशन में विशेष ध्यान और साधना के माध्यम से होता है। यह शास्त्र काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, और मत्सर के प्रकोप को दूर करने के लिए संजीवनी माना जाता है और स्त्री को उसकी पूर्णता की ऊँचाइयों तक पहुँचाने का प्रयास करता है।
इसे सिद्ध करने के लिए ध्यान के अलावा आपको उच्च शिक्षा, साधना, और आचरण की आवश्यकता होती है। योग, मेडिटेशन, और आसनों का अभ्यास भी योनि तंत्र के सिद्ध होने में सहायक हो सकता है।
योनि तंत्र को सिद्ध करने का मुख्य लक्ष्य है स्त्री को सार्वभौमिक सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति में मदद करना। इसके अलावा, यह उसके आत्मविश्वास और आत्मचरित्र को भी सुधार सकता है। इसके तहत, अपनी समर्पण और निरंतर साधना के माध्यम से स्त्री अपनी पूर्णता को प्राप्त कर सकती है।
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