छठ कर्मों के प्रयोग करने के लिए एक ही मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं इससे आप मारण मोहन विद्वेषण उच्चाटन वशीकरण सब कुछ कर सकते हैं



आवत देखो उध-सुध बैठत पथरा सुहान  हाथ बाँधौ मुँह बाँधौ आठो दन्त बन्द कराऔ अहो नारसिंह नाथ इस बन से उस बन चली जाई, काल दाग को दीन्हो छिपाई  जै बजरङ्ग बली की दोहाई ।



आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ में सनी शर्मा एक बार फिर से आप सभी के लिए एक सिद्ध शाबर मंत्र लेकर आया हूं काफी ज्यादा लोगों की डिमांड पर ही यहां पर मैं यह मंत्र प्रकाशित कर रहा हूं जो लोग छठ कर्म की क्रियाएं करते हैं उन लोगों के लिए यह मंत्र कारगर सिद्ध होगा इस एक मंत्र के प्रयोग से आप मारण मोहन विद्वेषण उच्चाटन वशीकरण सम्मोहन जैसी क्रियाएं कर सकते हैं जिन लोगों ने गुरु धारण कर रखे हैं वह लोग इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं जिन लोगों के गुरु नहीं है वह इस मंत्र का प्रयोग नहीं कर सकते हैं मेरे यूट्यूब चैनल सनी नाथ को जरूर देखें रुद्राक्ष की माला के ऊपर आपने सर्वप्रथम 12500 हजार का जप करना है और फिर इस मंत्र को प्रयोग में लाना है पहले इस मंत्र को सिद्ध करना अति आवश्यक है आपने श्मशान में जलती हुई चिता पर जाकर सरसों व राई मिक्स करके बहुत ही देते हुए मंत्र का प्रयोग करते हुए तेल छोड़ते हुए हवन करना है इस प्रकार से मंत्र आपका सिद्ध हो जाता है चिता अगर जलती हुई नहीं मिलती है तो आप लोगों ने चिता भी लकड़ी का प्रयोग कर लेना है लेकिन हवन श्मशान में ही करना है जहां पर चिता जलाई जाती है और लकड़ियों को इकट्ठा कर कर वहीं पर बैठकर हवन का अनुष्ठान पूर्ण रूप से करना है यह एक संकल्पित साधना है बिना संकल्प के नहीं चलेगी 21 दिन का संकल्प लेना पड़ेगा नहीं तो यह मंत्र कार्य नहीं करेगा 21 दिन का संकल्प लेकर ही और लाल वस्त्र या काले वस्त्र इनका ही प्रयोग करना है और शमशान में आप लोगों ने नित्य एक मारा का हवन ऐसे ही करना है मंत्र पूर्ण रूप से यज्रिट हो जाएगा शुरू कर्मों में चलने के लिए शमशान में जाकर एक माला जपानी है और एक माला का हवन देना है आपका काम 72 घंटे के अंदर हो जाएगा प्रमाणित प्रयोग है लेकिन गुरु नहीं होंगे तो मंत्र जागृत नहीं होगा याद रखना इन मित्रों को करने के लिए योग्य गुरुओं की आवश्यकता पड़ती है गुरु दीक्षित होना अति आवश्यक है आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ जन्म कल्याण हेतु ही यहां क्रिया प्रकाशित की गई है बिना गुरु के कोई भी इन क्रियो का प्रयोग करता है लेखा-जोखा आपका रहता है आदेश आदेश सनी नाथ शर्मा ।




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