दीपावली से शुरू करें काली माता के व्रत DIWALI SE SURU KARE KAALI MATA KE VRAT

दीपावली से शुरू करें काली माता के व्रत
अन्न धन विद्या बल की अधिष्ठात्री एवं तंत्र की मूल नायिका महाकालिका देवी माता आद्या शक्ति की आराधना हेतु दिवाली से शुरू करें व्रत।ये व्रत दिवाली, होली अथवा मंगलवार, शुक्रवार को किए जायेंगे। ध्यान दें की शनिवार के व्रत केवल तामसिक विद्या के लिए है।

इस व्रत में ब्रह्मचर्य और मौन अत्यंत आवश्यक हैं। जब तक व्रत किए जायेंगे तब तक ब्रह्मचर्य तो रखें ही और जितना कम हो सके उतना ही कम बोलें।व्रत के लिए किसी विशिष्ट काली माता या दुर्गा माता या किसी भी वेद शास्त्र की मर्यादा का पालन करने वाले मंदिर के ब्राह्मण से संकल्प अपने नाम के लिए पढ़वाएं। इस संकल्प में आपका क्षेत्र, गोत्र, पिता का नाम, नक्षत्र, कामना और व्रत के नियम और अवधि बताई जाएगी।

व्रत के दौरान माता काली की आरती और स्तुति अति आवश्यक है। ये व्रत करने से माता के गणो की सवारी आने की संभावना भी बढ़ती है। पर बिना गुरु के किसी को कोई भी अनुभव न बताएं। जो जैसा होता है उसको वैसे ही स्वीकार करके आगे बढ़ते रहें।

इस व्रत की अवधि 1 वर्ष, 1 सप्ताह, 1 मास, अथवा मनोकामना पूर्ति तक की जा सकती है। व्रत में तामसिक भोजन कदापि न करें, प्याज़ लहसुन का परहेज़ अनिवार्य है। कोशिश करें की हर मंगलवार शुक्रवार छोटी छोटी कन्याओं को भोजन दें। कन्या पूजन में जाति अथवा धर्म निरपेक्ष हो कर कन्या रूप में देवी और मातृ शक्ति का सम्मान करें। कन्या भोज में उनको वेद लक्ष्णा देसी भारतीय गौ माता के दूध से बनी खीर का भोग अवश्य दें। न हो सके तो यथा शक्ति उनको कुछ न कुछ मिष्ठान अवश्य दें।

शास्त्र मर्यादा से देवी जी की आराधना करें, उनको भोग लगवा कर ही खाना खाएं। घर में भजन कीर्तन का आयोजन करें, व्रत की बात गोपनीय रखें। व्रत के दौरान किसी और के घर न जाएं और अगर जाना पड़े तो खाना तो क्या पानी भी न पिएं। ऐसा करने से व्रत का फल घटता है।

व्रत में मंत्र जप कर सकते हैं पर बिना गुरु के कोई भी मंत्र का संकल्प का करें। बिना गुरु के महाकाली मां अत्यंत प्रचंड रूप से आती है और बहुत मुश्किल हो जाता है उनकी शक्ति को संभालना।इस लिए माता काली को शांत करने के लिए गुरु बना कर गुरु सन्निधि में माता की गुप्त विद्या प्राप्त करें।

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