वर्ष 2022 में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली के रूप में मनाया जाता है और इस वर्ष सूर्य ग्रहण की भौगोलिक प्रक्रिया भी होने जा रही है। बहुत ही अचंभित करने वाला घटनाक्रम देखने को मिल रहा है की दीपावली और सूर्य ग्रहण फिर से कई वर्षों बाद एक साथ हो रहे हैं। साधकों के लिए दिवाली, होली और सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण बहुत ही महत्वपूर्ण तिथियां होती हैं। अक्सर साधक लोग इन्हीं तिथियों का इंतजार करते हैं
ताकि वे अपने वह अपने से संबंधित लोगों का हित देखते हुए उनके हेतु कुछ मंत्र जागृत अथवा कुछ देव कृपा प्राप्ति हेतु साधना करते हैं। माना जाता है कि दीपावली होली एवं ग्रहण काल में जाप किए गए मंत्र बहुत जल्दी सिद्ध होते हैं।
आइए जानते हैं दीपावली पर साधना करने के कुछ नियम
1. किसी भी पर्व त्यौहार पर कुछ भी करने से पहले यद्यपि गणेश पूजन सर्वप्रथम किया जाना चाहिए परंतु दीपावली पर गणेश अर्चन का विशेष महत्व है। अतः दीपावली पर पूजा की शुरुआत विघ्नहर्ता श्री गणेश की मंगल पूजा अर्चना से करना चाहिए।
2. काफी लोग भ्रमित होते हैं कि दीपावली पर माता लक्ष्मी की आरती नहीं गाने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से देवी
लक्ष्मी की कृपा नहीं मिलती। इन भ्रमित लोगों के अनुसार ऐसा करने से देवी लक्ष्मी अपने लोग प्रस्थान कर देती हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आरती का मतलब है आर्त भाव से स्तुति करना। इस लिए आरती तो करनी ही करनी चाहिए।
3. दुनिया जानती ही है कि दीपावली पर माता सरस्वती की आराधना की जाती है। तो इसलिए अगर कोई साधना बिना माता सरस्वती की कृपा से की जाए तो वह निष्फल ही होती है। गुरु की कृपा
से ही माता सरस्वती की अनुकंपा प्राप्त होती है अतः गुरु के सानिध्य में ही साधना करनी चाहिए।
4. देवी कालिका की विशेष आराधना बंगाल देश में श्यामा पूजा नाम के उत्सव में मनाई जाती है। श्यामा पूजा में महाकाली मां की पूजा की जाती है और विशेष रुप से साधना भी की जाती है। यह समय अत्यंत ही शुभ समय है देवी माता महाकाली की साधना के लिए।
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