गोगा जी महामंत्र इस मंत्र सुबह 21बार पढे GOGA JAHARVEER JI KA SIDDH SHABAR MANTRA SAWARI CHOWKI KA MANTRA JAAP

गोगा जी महामंत्र इस मंत्र सुबह 21 बार पढे

सतनमों आदेश गुरु जी को आदेश आदेश ॐ गुरु जी आदेश ध्यान धरु गोरखश्री चरणोँ का करु मे तेरा दीदार बंदना गोगाजी,गुरु गोरख के चेले तुम,नागो के तुम हो राजा,वीरो मे हो तुम वीर,माँ बाछल जब गोरख शारण जाई तब गोरख से वो गुगल पाई,भादोँ कृष्ण जब नोमी आई ददरेवा मे तुम हो प्रकटे नाम तुम्हारा तही प्रकटवीर कहावे,रुप तुम्हारा बड़ा सुहाना,कोटि रवि समतेज तुम्हारा,गले तुम्हारे तुलसी माला,हाथ मे है बरछी भाला,नीले घोड़े की तुम करो सवारी,रानी सिरियल संग ब्याह रचाया,अरजन सरजन जान से गवाया,पृथ्वी मे हो तुम समाऐ,गाऊऐ तुम्हे अपना दुध पिलावे,गोरख टिल्ले मेँ तुम धुनीरमाऐ,भुत पिशाच यक्षिणी डाकिनी कापे जब जब तेरा नाम है जपे,गुरु गोरख की तुम्हे दुहाई करो कृपा मृझ पे हे गुगा जाहरवीर साई इति जहारवीर गोगा महामंत्र सम्पर्ण होया श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश ||

गोगा जाहरवीर महाराज के इस मंत्र का प्रयोग आप भादो कृष्ण नवमी अथवा किसी भी शुभ नक्षत्र में कर सकते हैं यह एक सिद्ध शाबर मंत्र है यह गुरुमुखी और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला मंत्र है इस मंत्र का मात्र आप 21 बार 51 बार जप कर सकते हैं या एक माला का भी जब कर सकते हैं इस मंत्र का ज्यादा विधि विधान नहीं है जो लोग गुरुमुखी हैं वह गुरु सानिध्य से गुरु आज्ञा से इस मंत्र का जाप शुरू कर सकते हैं भादो अगस्त महीने में लगती है और भादो या कृष्ण नवमी वाले दिन चंकी जन्माष्टमी के एक दिन बाद आप इस मंत्र का जाप शुरू कर सकते हो या अथवा पूरे भादो में भी इसको आप जब सकते हो मंत्र जप दौरान अपना आसन और रुद्राक्ष की माला उसके इलावा ब्रह्मचारी का नियम और गोगा जाहर पीर महाराज की सेवा करते हुए उनको भोग प्रसाद अपनी सुविधानुसार दूध से बनी कोई भी मिठाई अथवा दूध और खीर का भोग आप लगा सकते हो और नागों की सेवा करनी है और एक माला ओम नमः शिवाय ओम शिव गोरक्ष की पहले करनी है फिर आपने गोगा जाहरवीर महाराज की सेवा करनी है ज्यादा जानकारी के लिए आप मेरे युटुब चैनल पर विजिट कर सकते हो सनी नाथ वहां पर वीडियो देख सकते हो मेरे साथ फ्री बात करने के लिए आप लाइव चैट में जुड़ सकते हैं अन्यथा मेरी फीस है 1150 सौ अरदास 2550 यह लगवा कर ही आप साधना सिद्धि में आगे बढ़ सकते हैं मेरा व्हाट्सएप नंबर 98915 95270 आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ ।


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