"Yogmaya" एक आध्यात्मिक और धार्मिक धारणा है, जो हिंदू धर्म और अन्य भारतीय परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई है। इसे भगवान की दिव्य शक्ति या उनकी रचनात्मक ऊर्जा के रूप में समझा जाता है। योगमाया का उल्लेख कई ग्रंथों, जैसे भगवद गीता और पुराणों, में मिलता है। इसे मुख्य रूप से भगवान की लीला (दिव्य खेल) और संसार के संचालन में उनकी भूमिका के संदर्भ में देखा जाता है।
योगमाया के मुख्य पहलू:
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दिव्य शक्ति:योगमाया को भगवान की वह शक्ति माना जाता है जो संसार की रचना, पालन और संहार करती है। इसे भगवान की "स्वाभाविक" शक्ति कहा जा सकता है।
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माया और योगमाया का अंतर:
- माया वह शक्ति है जो जीवों को संसार के भ्रम में डालती है। यह हमें भगवान से अलग दिखाने वाली शक्ति है।
- योगमाया वह शक्ति है जो जीवों को भगवान से जोड़ने में सहायता करती है। यह मुक्ति और आध्यात्मिक जागरूकता का मार्ग प्रशस्त करती है।
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लीला का संचालन:योगमाया भगवान की लीलाओं को संभव बनाती है। उदाहरण के लिए, श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, रासलीला, और अन्य चमत्कार योगमाया के कारण ही संभव होते हैं।
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श्रीमद्भागवत में योगमाया:जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो उनकी रक्षा के लिए योगमाया ने वासुदेव और देवकी की सहायता की और कंस को भ्रमित किया। यह योगमाया की शक्ति का एक उदाहरण है।
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आध्यात्मिक महत्व:योगमाया को आत्मा के जागरण और मुक्ति में सहायक माना जाता है। यह साधक को भगवान के साथ योग (संयोजन) में लाने का माध्यम है।
सरल शब्दों में:
योगमाया भगवान की वह शक्ति है जो हमें संसार के बंधन से मुक्त करके उनकी शरण में लाती है। यह एक दिव्य शक्ति है जो भक्तों की रक्षा करती है और उन्हें ईश्वर की लीला का अनुभव कराती है।
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