कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए विभिन्न मंत्रों और साधनाओं का उल्लेख योग और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है। मंत्र जाप के माध्यम से कुण्डलिनी शक्ति का जागरण एक अत्यंत गूढ़ और गहन साधना है, जिसके लिए उचित मार्गदर्शन और संयम की आवश्यकता होती है। कुछ प्रमुख मंत्रों का उल्लेख किया जाता है, जो साधकों द्वारा कुण्डलिनी जागरण के लिए उपयोग किए जाते हैं।

 कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए विभिन्न मंत्रों और साधनाओं का उल्लेख योग और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है। मंत्र जाप के माध्यम से कुण्डलिनी शक्ति का जागरण एक अत्यंत गूढ़ और गहन साधना है, जिसके लिए उचित मार्गदर्शन और संयम की आवश्यकता होती है। कुछ प्रमुख मंत्रों का उल्लेख किया जाता है, जो साधकों द्वारा कुण्डलिनी जागरण के लिए उपयोग किए जाते हैं।


### सिद्ध मंत्र:

1. **ॐ ह्रीं क्लीं स्वाहा**  

   इस मंत्र का जाप कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए किया जाता है। यह त्रिपुरा सिद्ध मंत्र के रूप में जाना जाता है और शक्तिशाली माना जाता है।


2. **ॐ नमः शिवाय**  

   यह पंचाक्षरी मंत्र है, जो योग में अत्यधिक महत्व रखता है। इस मंत्र का नियमित जाप चित्त को शांत करता है और कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायक होता है।


3. **सर्पिणी कुण्डलिनी मंत्र**:  

   "ॐ सर्पिण्यै नमः"  

   यह मंत्र कुण्डलिनी को सर्पिणी के रूप में संबोधित करता है और उसका जागरण साधक के भीतर की ऊर्जा को सक्रिय करता है।


4. **गायत्री मंत्र**  

   "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्"  

   यह सार्वभौमिक ऊर्जा को सक्रिय करने वाला मंत्र है, और इसका नियमित जाप कुण्डलिनी जागरण में सहायक हो सकता है।


### मंत्र जाप की विधि:

1. सुबह के समय, किसी शांत स्थान पर बैठें, जहाँ कोई व्यवधान न हो।

2. मस्तक, रीढ़ की हड्डी और शरीर को सीधा रखते हुए साधना करें।

3. अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और मंत्र का उच्चारण धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से करें।

4. मानसिक शांति के साथ नियमित जाप करें, साथ ही ध्यान भी करें।


कुण्डलिनी जागरण एक बहुत ही संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसे एक योग्य गुरु के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक या शारीरिक समस्याओं से बचा जा सके।

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