पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष पितृपक्ष के अंतिम दिन श्राद्ध की पूजा करने के लिए निम्न मुहूर्त है:
1. **पहला कुतुप मुहूर्त**: 12:51 से 01:37 तक है।
2. **दूसरा रोहिण मुहूर्त**: 01:37 से 02:23 तक है।
3. **तीसरा अपराह्न मुहूर्त**: 02:23 से 04:41 तक है।
श्राद्ध के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करके देवस्थान या पितृस्थान को गाय के गोबर से लीपकर तथा गंगाजल से पवित्र करें यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि पितरों की आत्माएं शांत रहें और परिवार को सुख-शांति मिले।
ध्यान दें कि पितृ पक्ष के अवसर पर आपको धार्मिक और सामाजिक विशेषज्ञों से सलाह लेना उचित हो सकता है, क्योंकि पूजा और श्राद्ध की विधि विभिन्न स्थानों और संप्रदायों में थोड़ी भिन्न हो सकती है।
पितृ मंत्र जाप करने के लिए आप निम्नलिखित मंत्र का जाप कर सकते हैं:
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
इस मंत्र का जाप करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है। आप इस मंत्र को दिन में कुछ बार जाप कर सकते हैं।
ध्यान दें कि पितृ पक्ष के अवसर पर आपको धार्मिक और सामाजिक विशेषज्ञों से सलाह लेना उचित हो सकता है, क्योंकि पूजा और श्राद्ध की विधि विभिन्न स्थानों और संप्रदायों में थोड़ी भिन्न हो सकती है।
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