शिवजी भगवान जी ने माता पार्वती को "गुरु" का क्या अर्थ बताया
प्रभु ने कहा —
‘गु’ शब्द का अर्थ होता है अंधकार(अज्ञान) और ‘रू’ शब्द का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)।
अज्ञान को नष्ट करने वाला जो प्रकाश है वो ही गुरु है।
अज्ञान को नष्ट करने ने कारण ही गुरु कहलाए जाते है।
मनुष्यो को सदा ही गुरु की पूजा करनी चाहिए।
संसार सागर में पड़े हुए लोगों को नरक ही मिलता है,इससे बचने के लिए मनुष्य को सदा ही गुरुदेव का पूजन करना चाहिए,गुरुदेव ही संसार सागर से हमको बचाते है।
जब भी विकट परिस्थिति उत्पन होती है तब गुरु ही एक मात्र तारणहार है, वो ही हमको बचाते है।
ऐसे गुरुदेव को हमको बार बार नमस्कार करना चाहिए।
संसार रूपी मायाजाल में फसने के बाद जब हमको कोई मार्ग नही दिखाई देता ,हम परेशान हो जाते है, उस वक्त जिसने मार्ग दिखाया ,उनको गुरु कहते है।
इस संसार सागर में फसे हुए लोगों के लिए,पापी लोगो के लिए, गुरु ही एक मात्र गंगा जी है, ऐसे श्री गुरुदेव को नमस्कार है।
सभी तीर्थों में स्नान करने से जितना फल मिलता है वो फल गुरुदेव के चरण अमृत की एक बूंद के फल का हजारवा हिस्सा है।
गुरु की महिमा अपरंपार है,गुरु ज्ञान महान है।
गुरु ही साक्षात ब्रह्म,विष्णु और महेश है।
गुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि नमन है🙏🙏🙏
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