🔥 गुरु मंत्र के जाप से कुण्डलिनी शक्ति कैसे जाग्रत होती है? संकेत और रहस्य by sunny nath

 

🕉️ गुरु मंत्र का महत्व

कुण्डलिनी शक्ति हमारी रीढ़ की हड्डी (सुषुम्ना नाड़ी) में सुप्त अवस्था में स्थित एक दिव्य शक्ति है। जब एक सच्चे गुरु से मिला हुआ गुरु मंत्र पूरी श्रद्धा और निष्ठा से जपा जाता है, तो यह शक्ति धीरे-धीरे जाग्रत होने लगती है।

🧘‍♀️ कुण्डलिनी जागरण के चरण

  1. मंत्र सिद्धि – गुरु मंत्र का लगातार जाप मन को शुद्ध करता है।

  2. नाड़ी शुद्धि – इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी में रुकावटें दूर होती हैं।

  3. ऊर्जा संचार – ऊर्जा मूलाधार चक्र से ऊपर की ओर बढ़ती है।

  4. आध्यात्मिक अनुभव – ध्यान में अलौकिक अनुभव होने लगते हैं।


कुण्डलिनी शक्ति जागरण के संकेत

  1. शरीर में कंपन या झटके

  2. रीढ़ में गर्माहट या ऊर्जा का बहाव

  3. भय के बिना शांति का अनुभव

  4. नेत्रों से अश्रु बहना या स्वतः ध्यान लग जाना

  5. गहरे ध्यान में रंग, प्रकाश या दिव्य आकृतियाँ दिखना

  6. सपनों में देवी-देवता, गुरु या मंदिर दिखना


🧘 गुरु मंत्र कैसे जपे?

  • शुद्ध आसन पर बैठकर प्रतिदिन नियत संख्या में जाप करें।

  • जाप एकांत, शांत और पवित्र स्थान पर करें।

  • मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहें।

  • पूर्ण समर्पण भाव रखें।





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