बंधन मुक्ति कवच
आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ मैं सनी शर्मा एक बार फिर से आप सभी के लिए बंधन मुक्ति कवच इस कवच का प्रयोग करके आप अपने आप की रक्षा लगा सकते हो यह प्रयोग आप गुरु सानिध्य गुरु कृपा से कर सकते हो अगर किसी ने आप के ऊपर तांत्रिक क्रिया करी है तो यह कवच आपको रक्षा प्रदान करता है यह कवच गुरु के द्वारा सिद्ध गुरु की वाणी है
कैसे सिद्ध करना है इस कवच को इस कवच में हनुमान बाबा जी की शक्ति समाई है यह कवच आप धागे के ऊपर अथवा आप इस कवच आप किसी भी शुक्ल पक्ष में सिद्ध कर सकते हो शुक्ल पक्ष के मंगलवार अथवा शनिवार से आपने इस मंत्र का नित्य कर्म में चेक करना है एक माला सुबह एक माला शाम को जाप करने के बाद आपको इस मंत्र की सिद्धि प्रदान होगी यह मंत्र जप करने के बाद आपको हनुमान जी के मंदिर में जाकर चोला लड्डू और बाबा जी का ध्वजा चढ़ाना है गुर आज्ञा से ही इस मंत्र का प्रयोग करना है इस मंत्र का प्रयोग लाल आसन और रुद्राक्ष की माला के ऊपर बैठकर आप कर सकते हो पूरे के साथ सभा में ही ना ही इस मंत्र का जाप करना है यह मंत्र आपको बता दूं गुरु मुख से लेना है गुरु आज्ञा से ग्रुप कृपा से ही आपने सिद्ध करना है अन्यथा जागृत नहीं होगा ज्यादा जानकारी के लिए आप मेरे यूट्यूब चैनल सनी नाथ पर विजिट कर सकते हो वहां पर लाइव चैट में फ्री मेरे साथ बात कर सकते हो मेरी साथ बात करने के लिए 1150 की फीस है और किसी भी साधना सिद्धि के लिए थोड़े पर अरदास 2550 है मेरा व्हाट्सएप नंबर 9915 9527ओ बाकी की जानकारी आप यूट्यूब चैनल या फिर मेरे साथ बातचीत करके ले सकते जय गुरु गोरखनाथ सन्नी नाथ शर्मा।
“श्री रामचंद्र-दूत हनुमान ! तेरी चोकी- लोहे का खीला, भूत का मारू पूत | डाकिन का करू डाण्डीया ! हम हनुमान साध्या ! मुर्दा बाँधु | मसाण बाँधु | बाँधु नगर की नाई | भूत बाँधु | पालित बाँधु | उघ मतवा ताव से तप घाट पन्थ की रक्षा – राजा रामचंद्र जी करे बावन वीर, चौंसठ जोगणी बाँधु | हमारा बाँधा पाछा फिरे, तो वीर की आज्ञा फिरे | लूणा चमारी की कुण्ड मां पड़े | तू ही पीछा फिरे, तो माता अंजनी का दूध पिया हराम करे | स्फुरो मंत्र, ईश्वरी वाचा
यहां पर जितनी भी जानकारी दी जाती है पूर्ण रूप से गुरु सानिध्य और गुरु कृपा से ही दी जाती है साधना सिद्धियां गुरु कृपा से गुरु के सानिध्य में होती हैं अगर आप नेट से मंत्र लेकर करते हो तो उसका लेखा-जोखा रिस्क आर के सर ही रहता है आदेश आदेश जय गुरु गोरखनाथ सनी नाथ शर्मा।
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